पिछले काफी दिनों से जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। अब चर्चा है कि वे और गुजरात के जिग्नेश मेवानी 28 सितंबर को कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। हालांकि इस बात को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है। लेकिन कन्हैया जिस तरह से अपनी पार्टी सीपीआई से दूरी बनाकर चल रहे हैं, उससे इतना तो तय माना जा रहा है कि वे ज्यादा दिन इस पार्टी में नहीं टिकेंगे।
कन्हैया कुमार के बारे में बताया जा रहा है कि वे पार्टी से कई कारणों से नाराज चल रहे हैं। एक तो पिछले कई सालों से संघर्ष करने पर भी उनके राजनीतिक करियर का कुछ होता नहीं दिख रहा है, दूसरी ओर पार्टी में भी उनको कोई ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है। इन कारणों से उनका अपने भविष्य को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक है। इस स्थिति में जिस विचारधारा की वे राजनीति करते हैं, उसमें कांग्रेस के आलावा और कोई पार्टी उनके लिए मुफीद नहीं लग रही है।
नाराजगी के ये हैं कारण
दरअस्ल कन्हैया कुमार ने हाल ही में सीपीआई न छोड़ने के लिए कुछ शर्तें रखी थीं। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि वे पार्टी में अपनी वर्तमान भूमिका से खुश नहीं हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें बिहार प्रदेश का पार्टी प्रमुख बनाया जाए। इसके साथ ही वे शीर्ष चुनावी समिति के चेयरमैन का पद भी चाहते हैं, ताकि पार्टी द्वारा उम्मीदवारी तय करने में उनकी हिस्सेदारी हो। उनकी इस मांग को लेकर पार्टी के एक नेता ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सीपीआई ऐसी पार्टी है, जो अपने लोगों के बारे में खुद निर्णय लेती है और जिम्मेदारी देती है। उनकी इस तरह की मांग बिलकुल गलत है।
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सीपीआई छोड़ना तय
इस बीच मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने पार्टी छोड़ने का पूरा मन बना लिया है। उनके साथ गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी भी कांग्रेस में शामिल होंगे। कन्हैया के पार्टी छोड़ने के कई संकेत मिल रहे हैं। एक तो वे काफी दिनों से पार्टी नेताओं और बैठकों से दूरी बनाए हुए चल रहे हैं, वहीं वे पटना स्थित पार्टी कार्यालय से एसी तक निकाल ले गए हैं। हालांकि यह एसी उन्होंने ही अपने और अपने लोगों के लिए लगवाई थी। उनकी इस तरह की गतिविधियों से उनकी पार्टी के साथ ही राजनीति के जानकारों को पक्का यकीन हो गया है कि कन्हैया चंद दिनों में ही सीपीआई को अलविदा कहने वाले हैं।
राजनीतिक करियर को लेकर चिंता
बता दें कि कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं और वहां से वे 2019 के लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी के गिरिराज सिंह से लगभग चार लाख मतों से हारने के बाद वे पार्टी के साथ ही देश की राजनीति में भी किनारे धकेल दिए गए हैं। फिलहाल वे अपने राजनीतिक करियर को नई दिशा और पहचान देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस की नैया उन्हें सही और सुरक्षित लग रही है। चुानवी मौसम में दोनों एक दूसरे की जरुरत बन सकते हैं।