क्रांतिकारी द्रोही कांग्रेस की कुचाल, तुष्टीकरण के लिए वीर सावरकर के विरुद्ध षड्यंत्र

क्रांतिकारी विरोधी कांग्रेस की कुत्सित विचार शैली का प्रदर्शन कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन के बाद भी दिख रहा है। जिसमें कांग्रेस सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रमों से स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पाठ को हटाने का निर्णय लिया है।

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वीर सावरकर कर्नाटक

क्रांतिकारी द्रोही कांग्रेस का इतिहास रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए क्रांतिकारियों ने अपने सर्वस्व की होलिका दहन कर दी। लेकिन, इनके विरुद्ध कांग्रेस सदा षड्यंत्र रचती रही। क्रांति प्रणेता स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विरुद्ध कांग्रेस ने षड्यंत्र करते हुए कर्नाटक के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा वीर सावरकर का पाठ हटाने का निर्णय लिया है, उसके स्थान पर नेहरू को सम्मिलित किया गया है।

सत्ता के लिए तुष्टीकरण
कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा से सत्ता प्राप्त करने के लिए बड़े समझौते किये। इसमें एक समझौता कर्नाटक चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद सामने आया। जब सुन्नी उलेमा बोर्ड ने अपनी शर्तें सुनानी शुरू कर दीं। कांग्रेस ने तुष्टीकरण के नाम मुस्लिमों का वोट लिया, जिसमें बजरंग दल पर प्रतिबंध की घोषणा करके अपनी चाल का आगाज़ किया था। अब जब कांग्रेस ने कर्नाटक में जीतकर सत्ता बना ली है तो क्रांतिप्रणेता स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विषय को पाठ्यक्रम से हटाकर हिंदू द्रोह और क्रांतिकारी से द्रोह का दूसरा परिचय दिया है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक केशव बलीराम हेडगेवार की जानकारी को भी पाठ्यक्रम से निकालने का निर्णय लिया गया है।

कर्नाटक सरकार ने इतिहास को कितना भी झुठलाने का प्रयत्न किया फिर भी सत्य तो उजागर होगा ही। वीर सावरकर पर आधारित पाठ को निकालकर कांग्रेस कितना भी इतिहास को छुपाने का प्रयत्न कर ले, फिर भी छात्र मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से इतिहास को पढ़ ही रहे हैं। इंदिरा गांधी ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर का समर्थन किया था, लेकिन कांग्रेस अब भाजपा का विरोध करने के लिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर का अकारण विरोध कर रही है।

रणजीत सावरकर, कार्याध्यक्ष – स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक

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भारत द्वेषियों के बीच राहुल की प्रेम की दुकान
सत्ता प्राप्ति के लिए कांग्रेस, तुष्टीकरण, वामपंथी विचारों को प्रफुल्लित करने और विदेशों से धर्मांतरण जैसे षड्यंत्र रचनेवालों से हाथ मिलाती रही है। राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा इसी का चित्र प्रस्तुत कर गई। वे गए तो थे कांग्रेस के विचारों से भारतीय मूल के लोगों को अवगत कराने, मेल मिलाप बढ़ाने, लेकिन, राहुल गांधी नित्य की भांति भटक गए। अमेरिका के कार्यक्रमों का प्रचार और भीड़ जुटाने का कार्य इंडियन अमेरिकन काऊंसिल जैसी इस्लामी कट्टरवादी और आतंकी समर्थक संस्था शामिल थी, जबकि राहुल गांधी के साथ बैठकों में सुनीता विश्वनाथ दिखीं थीं। सुनीता विश्वनाथ का संबंध इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काऊंसिल, भारत द्रोही जॉर्ज सोरोस से है।

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