देश के कई हिस्सों में जबरन धर्मांतरण कराने का मामले उजागर होते रहते हैं। पिछले कुछ सालों से इस तरह की असामाजिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। धर्मांतरण को लेकर देश के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग कानून हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी शासित सरकारों ने इसे लेकर कठोर कदम उठाए हैं। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों ने इसे कानूनी रुप दिया है। इसी कड़ी में कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने भी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। उसने इसके लिए कानूनी मसौदा तैयार किया है और अब शीतकालीन सत्र में उसे पारित किए जाने की संभावना है। इसमें धर्मांतरण कराने वालों को 10 साल की जेल के साथ ही जुर्माना भरने का भी प्रावधान है।
मसौदा तैयार
राज्य सरकार ने इस बिल का मसौदा तैयार किया है। इस पर चर्चा हो चुकी है और जल्द ही इसे राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। विधेयक के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, नाबालिग और महिलाओं को धर्म बदलने के लिए मजबूर करने पर 10 साल तक की सजा हो सकती है। जो कोई भी इस तरह से साजिश करेगा या धर्मांतरण का प्रयास करेगा, उसे दंडित किया जाएगा। इस बारे में संबंधित व्यक्ति या उसके परिवार द्वारा शिकायत की जा सकती है।
ये हैं प्रावधान
प्रस्ताव में नाबालिगों, महिलाओं और एससी-एसटी के धर्मांतरण के मामले में 3 से 10 साल की कैद और 50,000 रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही धर्म परिवर्तन कराने में मदद करने या किसी अन्य तरह से शामिल होने पर 3 से 5 वर्ष की जेल और 25,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
सजा पर सहमति नहीं
इस बीच, कर्नाटक सरकार की कैबिनेट ने प्रस्ताव पर चर्चा की है। बताया गया है कि सजा पर अभी सहमति नहीं बनी है। इस संबंध में सत्र शुरू होने से पहले निर्णय लिए जाने की संभावना है। उसके बाद सरकार विधेयक को कानून में बदलने के लिए सत्र में पेश करेगी।