Kashi Tamil Sangamam 3.0: काशी के हनुमान घाट से हरिश्चंद्र घाट पर बसता है मिनी तमिलनाडु, जानें क्या है पूरा कार्यक्रम

गंगा स्नान की खुशी दल के चेहरे से साफ दिखती रही। गंगा स्नान के बाद दल के सदस्यों ने मां गंगा की आराधना की और सुख समृद्धि की कामना की।

100

Kashi Tamil Sangamam 3.0: काशी तमिल संगमम-3 (Kashi Tamil Sangamam-3) के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के बाद दूसरे दिन 16 फरवरी (रविवार) को तमिल शिक्षकों और छात्रों के दल ने हनुमान घाट (Hanuman Ghat) पर पवित्र गंगा (Holy Ganga) में आस्था की डुबकी लगाई।

गंगा स्नान की खुशी दल के चेहरे से साफ दिखती रही। गंगा स्नान के बाद दल के सदस्यों ने मां गंगा की आराधना की और सुख समृद्धि की कामना की। दल के सदस्यों ने उत्तर वाहिनी गंगा के पथरीले अर्धचंद्राकार घाटों के इतिहास के बारे में दिलचस्पी दिखाई। वहां मौजूद आचार्यो और काशी के स्थानीय तमिल विद्वान पंडित वेंकट रमण घनपाठी ने घाटों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

यह भी पढ़ें- Uttar Pradesh: अमेठी में ‘इतने’ दशक बाद पंच शिखर शिव मंदिर से हटा मुस्लिम समुदाय का अतिक्रमण, श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

हरिश्चंद्र घाट पर मिनी तमिलनाडु बसपा
कहा कि काशी के हनुमान घाट, केदारघाट, हरिश्चंद्र घाट पर मिनी तमिलनाडु बसपा है। इस दौरान दल के सदस्यों ने घाट पर मौजूद मंदिरों में दर्शन कर भी पूजन किया। काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े दक्षिण भारतीय विद्वान पंडित वेंकट रमण घनपाठी ने दल को बताया कि काशी और तमिलनाडु का गहरा रिश्ता है। ये समागम महज एक पखवाड़े का नहीं, सदियों पुराना है। काशी के हनुमान घाट, केदारघाट, हरिश्चंद्र घाट पर मिनी तमिलनाडु बसता है। जहां एक दो नहीं, बल्कि दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों के हजारों परिवार बसते हैं, जो इन दोनों राज्यों के मधुर रिश्ते को दर्शाते हैं। केवल हनुमान घाट पर 150 से अधिक घर तमिल परिवारों के हैं, जिनकी गलियों में हर दिन काशी तमिल संगमम होता है।

यह भी पढ़ें- Delhi Stampede: दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मामले में बड़ा खुलाशा, 2 घंटे में ‘इतने’ हजार अतिरिक्त टिकट बिके

तमिल ग्रंथों में उत्तर भारत के तीन तीर्थ नगर
उन्होंने बताया कि प्राचीन तमिल ग्रंथों में उत्तर भारत के तीन तीर्थ नगरों प्रयागराज, काशी व गया की महत्ता बताते हुए कहा गया है। प्रयागराज में आत्मऋण, काशी में देवऋण व गया में पितृऋण से मुक्ति मिलती है तथा मृत्यु के पश्चात आत्मा को बैकुंठ लोक में वास या मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने तमिल छात्रों को बताया कि इस धार्मिक प्रक्रिया को मुंडन व वेणीदान कहा जाता है। इसके पश्चात काशी पहुंचकर सभी यहां काशीवास करते हैं। काशी में यह धार्मिक यात्रा कम से कम पांच दिनों की होती है। इस दौरान लोग बाबा विश्वनाथ व माता विशालाक्षी का दर्शन-पूजन करते हैं।

यह भी पढ़ें- Maha Kumbh 2025: 58.13 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, प्रयागराज संगम स्टेशन 28 फरवरी तक बंद

शंकराचार्य के बारे में जानकारी
गंगा स्नान के बाद तमिल छात्र हनुमान घाट स्थित तमिल महाकवि सुब्रह्मण्य भारती के आवास पर पहुंचे। यहां महाकवि के वंशजों ने महाकवि के बारे में युवा छात्रों को बताया गया। छात्रों ने महाकवि के घर के समीप स्थित पुस्तकालय का भी अवलोकन किया। पुस्तकालय के बारे में जानकारी प्राप्त की। इसके बाद छात्रों का दल हनुमान घाट स्थित कांची मठ पहुंचा। यहां मठ के इतिहास और शंकराचार्य के बारे में जानकारी ली। काशी में दक्षिण भारतीय मंदिर को देखकर युवाओं का दल उत्साहित दिखा।

यह वीडियो भी देखें-

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.