‘हिंदुओं का नरसंहार लगातार जारी है’ – अंकुर शर्मा

जम्मू कश्मीर में हुई हत्याओं को लेकर तीव्र रोष है। इन हत्याओं के माध्यम से शांत घाटी को फिर आतंक की आंधी में झोंकने की कोशिश की जा रही है।

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जम्मू कश्मीर फिर रक्तरंजित हुआ है। श्रीनगर में मंगलवार को आतंकियों ने तीन हत्याएं की हैं, जिसमें एक कश्मीर पंडित समेत दो हिंदू मारे गए हैं। इस घटना पर तीव्र प्रतिसाद देते हुए इक्कजुट्ट जम्मू ने इसे हिंदुओं का नरसंहार बताया है। इन हत्याओं पर कश्मीरी पंडितों के लिए लड़नेवाले सुशील पंडित और फिल्म निर्माता निर्देशक अशोक पंडित की ओर से भी गंभीर प्रतिक्रियाएं आई हैं। उन्होंने देश की राजनीतिक व्यवस्था पर प्रश्न खड़े किये हैं।

जिन्होंने, 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के विरुद्ध इस्लामी जेहादियों का डटकर सामना किया और श्रीनगर नहीं छोड़ा, वही मक्खनलाल बिंद्रू 30 साल बाद अपनी आयु के 68वें वर्ष में इस्लामी जेहादियों के शिकार हो गए। वे फार्मासिस्ट थे, उनकी दुकान श्रीनगर के इकबाल पार्क में है, जहां उन पर हमला किया गया।

अब सामान्य सवाल है कि, ये कौन सी स्थिति है जिसमें दशकों से कश्मीरी पंडित और हिंदू मारे जा रहे हैं, और भारत सरकार 90 के दशक में घटी कश्मीरी पंडितों की सामूहिक हत्या, महिलाओं पर अत्याचार को नरसंहार ही नहीं मानता।  यह एक साधारण प्रश्न  है जिसे हर मंच पर उठाते रहे हैं इक्कजुट्ट जम्मू के अध्यक्ष अंकुर शर्मा। मक्खनलाल बिंद्रू की हत्या से आक्रोषित अंकुर शर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा है,

हिंदू नरसंहार बेरोकटोक जारी है

इस ‘तुम’ और ‘वे’ के वर्गीकरण में ‘तुम’ (इस्लामी/जिहादी) लगातार ‘वे’ (हिंदू/काफिर) की हत्या कर रहे हैं।
भारत सरकार हिंदू नरसंहार से इन्कार करने की मुद्रा में है, सच्चाई ये है कि वह एक धूमिल प्रचार में लगी है।

यह इन्कार हिंदुओं के विरुद्ध युद्ध छेड़ना है

एक और निहत्थे और असुरक्षित हिंदू को मार दिया गया
इस्लामी जिहाद के शिकार और कश्मीरी पंडितों के लिए लड़नेवाले सुशील पंडित ने इन हत्याओं पर सरकार को घेरा है। उन्होंने ट्वीट किया है, एक और निहत्थे, असुरक्षित हिंदू को अपने पूर्वजों के घर कश्मीर में रहने के कारण गोली मार दी गई। जिहाद से लड़ना या पीड़ितों को न्याय देना तो भूल जाइये हमारे नियो सेक्यूलर नेताओं पर शर्म आती है, जो हमारे नरसंहार को मानने से भी इन्कार करते हैं।

चीख पुकार से गूंज रही कश्मीर घाटी
भारतीय सिनेमा में बड़ा नाम और कश्मीरी पंडित, अशोक पंडित ने श्रीनगर में हुई मक्खनलाल बिंद्रू की हत्या पर तीव्र प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है, कश्मीर घाटी में 1989 से चीख पुकार की आवाजें गूंजना जारी हैं। मक्खनलाल बिंद्रू ने अन्य कश्मीरी हिंदुओं की तरह लोगों की सेवा की, जो आतंकवादियों को नहीं पची और हत्या कर दी।
दु:खद है पूरी राजनीतिक व्यवस्था मूक है।

कश्मीर में मंगलवार को आतंकियों ने दो हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया। इसमें श्रीनगर के इकबाल पार्क क्षेत्र के मक्खनलाल बिंद्रू को आतंकियों ने गोली मार दी। मक्खनलाल बिंद्रू वह शूरवीर पंडित थे, जिन्होंने 1990 के दशक में इस्लामी जिहादियों का डटकर मुकाबला किया और घाटी में डटे रहे।

इसके कुछ ही देर बाद श्रीनगर के ही आलमगिरी बाजार जडिबल में पानीपूरी का व्यवसाय करनेवाले विरेंद्र पासवान को गोली मार दी। विरेंद्र मूलरूप से बिहार के रहनेवाले थे।

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