Interim Union Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण(Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी को देश में ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के ‘मंत्र'(Mantra of Sabka Saath, Sabka Vikas and Sabka Vishwas) तथा ‘सबका प्रयास’ दृष्टिकोण के साथ संसद में अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किया। निर्मला सीतारमण के छठे और मौजूदा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम बजट(Final budget of the second term of the current Modi government) की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:-
वित्त वर्ष 2024-25 का बजट अनुमान
-अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-25 में उधार के अलावा कुल प्राप्तियां और कुल व्यय क्रमशः 30.80 लाख करोड़ रुपये और 47.66 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
-इसमें कर प्राप्तियां 26.02 लाख करोड़ रुपये अनुमानित हैं। राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण की योजना इस वर्ष भी जारी रहेगी, जिसका कुल परिव्यय 1.3 लाख करोड़ रुपये होगा।
-वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। इसके साथ ही 2024-25 के दौरान दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से सकल और शुद्ध बाजार उधार क्रमशः 14.13 लाख करोड़ रुपये और 11.75 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2023-24 संशोधित अनुमान
-वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में उधार के अलावा कुल प्राप्तियों का संशोधित अनुमान (आरई) 27.56 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें जहां कर प्राप्तियां 23.24 लाख करोड़ रुपये हैं वहीं कुल खर्च का आरई 44.90 लाख करोड़ रुपये है।
-वित्त मंत्री को 30.03 लाख करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्तियां बजट अनुमान से अधिक होने की उम्मीद है, जो अर्थव्यवस्था में मजबूत विकास गति और औपचारिकता को दर्शाती है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट के लिए राजकोषीय घाटे का आरई सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी का 5.8 फीसदी है।
सामाजिक न्याय
-वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री चार प्रमुख जातियों, यानी ‘गरीब’ (गरीब), ‘महिलाएं’ (महिला), ‘युवा’ (युवा) और ‘अन्नदाता’ (किसान) के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
‘गरीब कल्याण, देश का कल्याण’
-सरकार ने पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकालने में सहायता की।
-रुपये का डीबीटी से पीएम-जन धन खातों का उपयोग करने से 34 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई। सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ।
-पीएम-स्वनिधि ने 78 लाख स्ट्रीट वेंडरों को ऋण सहायता प्रदान की। 2.3 लाख को तीसरी बार क्रेडिट मिला है।
-विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के विकास में सहायता के लिए पीएम-जनमन योजना।
-वित्त मंत्री ने कहा-पीएम-विश्वकर्मा योजना 18 व्यवसायों में लगे कारीगरों और शिल्पकारों को अंत तक सहायता प्रदान करती है।
‘अन्नदाता’ का कल्याण
-पीएम-किसान सम्मान योजना ने 11.8 करोड़ किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की।
-पीएम फसल बीमा योजना के तहत 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा दिया जाता है।
-इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-एनएएम) ने 1361 मंडियों को एकीकृत किया गया है, जो 1.8 करोड़ किसानों को 3 लाख करोड़ रुपये की व्यापार मात्रा के साथ सेवाएं प्रदान करता है।
नारी शक्ति के लिए प्रेरणा
-महिला उद्यमियों को 30 करोड़ रुपये का मुद्रा योजना ऋण दिया गया।
-उच्च शिक्षा में महिला नामांकन 28 फीसदी बढ़ गया।
-एसटीईएम पाठ्यक्रमों में 43 फीसदी नामांकन लड़कियों और महिलाओं का है, जो दुनिया में सबसे अधिक में से एक है।
-पीएम आवास योजना के तहत 70 फीसदी से अधिक घर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को दिए गए।
पीएम आवास योजना (ग्रामीण)
-कोरोना महामारी की चुनौतियों के बावजूद पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत तीन करोड़ घरों का लक्ष्य जल्द ही हासिल कर लिया जाएगा। अगले पांच वर्षों में दो करोड़ और घर बनाए जाएंगे।
छत पर सोलराइजेशन और मुफ्त बिजली
-रूफटॉप सोलराइजेशन के माध्यम से एक करोड़ परिवारों को हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी। प्रत्येक परिवार को सालाना 15000 से 18000 रुपये की बचत होने की उम्मीद है।
आयुष्मान भारत
-आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य देखभाल कवर सभी आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं तक बढ़ाया जाएगा।
कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण
-प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना से 38 लाख किसानों को लाभ हुआ है और 10 लाख रोजगार पैदा हुए हैं।
-प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना ने 2.4 लाख एसएचजी और 60000 व्यक्तियों को क्रेडिट लिंकेज से सहायता प्रदान की है।
वृद्धि, रोजगार और विकास को उत्प्रेरित करने के लिए अनुसंधान और नवाचार
-लंबी अवधि के वित्तपोषण या लंबी अवधि और कम या शून्य ब्याज दरों के साथ पुनर्वित्त प्रदान करने के लिए पचास साल के ब्याज मुक्त ऋण के साथ एक लाख करोड़ रुपये का एक कोष स्थापित किया जाएगा।
-रक्षा उद्देश्यों के लिए डीप-टेक प्रौद्योगिकियों को मजबूत करने और ‘आत्मनिर्भरता’ में तेजी लाने के लिए एक नई योजना शुरू की जाएगी।
आधारभूत संरचना
-बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार सृजन के लिए पूंजीगत व्यय एवं परिव्यय 11.1 फीसदी बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये किया जाएगा, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 फीसदी होगा।
रेलवे
-लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार और लागत कम करने के लिए पीएम गति शक्ति के तहत 3 प्रमुख आर्थिक रेलवे कॉरिडोर कार्यक्रमों की पहचान की गई है।
-ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारे
-बंदरगाह कनेक्टिविटी गलियारे
-उच्च यातायात घनत्व वाले गलियारे
-40 हजार सामान्य रेल डिब्बों को वंदे भारत मानकों के अनुरूप बदला जाएगा।
विमानन क्षेत्र
-देश में हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी होकर 149 हो गई। पांच सौ सत्रह नए मार्ग 1.3 करोड़ यात्रियों को ले जा रहे हैं। वहीं, भारतीय विमानन कंपनियों ने 1000 से अधिक नए विमानों का ऑर्डर दिया है।
हरित ऊर्जा
-2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयला गैसीकरण और द्रवीकरण क्षमता स्थापित की जाएगी।
-परिवहन के लिए संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) और घरेलू उद्देश्यों के लिए पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी) में संपीडित बायोगैस (सीबीजी) का चरणबद्ध मिश्रण अनिवार्य किया जाएगा।
पर्यटन क्षेत्र
-राज्यों को वैश्विक स्तर पर उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग सहित प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का व्यापक विकास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
-स्थापित की जाने वाली सुविधाओं और सेवाओं की गुणवत्ता के आधार पर पर्यटन केंद्रों की रेटिंग के लिए रूपरेखा तैयार होगी।
-ऐसे विकास के वित्त पोषण के लिए राज्यों को समान आधार पर दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया जाएगा।
निवेश
-2014-23 के दौरान 596 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्रवाह 2005-14 के दौरान प्रवाह का दोगुना था।
‘विकसित भारत’ के लिए राज्यों में सुधार
-राज्य सरकारों द्वारा मील के पत्थर से जुड़े सुधारों का समर्थन करने के लिए पचास-वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 75,000 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रत्यक्ष कर
वित्त मंत्री ने अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-25 में प्रत्यक्ष करों के लिए समान कर दरों को बनाए रखने का प्रस्ताव रखा है।
-पिछले 10 वर्षों में प्रत्यक्ष कर संग्रह तीन गुना हो गया, रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 2.4 गुना हो गई।
सरकार करदाता सेवाओं में सुधार करेगी
-वित्त वर्ष 2009-10 तक की अवधि से संबंधित 25 हजार रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगें वापस ले ली गई हैं।
-वित्तीय वर्ष 2010-11 से वित्त वर्ष 2014-15 के लिए 10 हजार रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगें वापस ले ली गई हैं।
-इससे एक करोड़ करदाताओं को फायदा होगा
-अंतरिम बजट में स्टार्ट-अप, सॉवरेन वेल्थ फंड या पेंशन फंड द्वारा किए गए निवेश पर कर लाभ 31 मार्च, 2025 तक बढ़ाया गया।
आईएफएससी इकाइयों की कुछ आय पर कर की छूट 31 मार्च, 2024 से एक वर्ष बढ़ाकर 31 मार्च 2025 तक कर दी गई है।
अप्रत्यक्ष कर
-वित्त मंत्री ने अप्रत्यक्ष करों और आयात शुल्कों के लिए समान कर दरों को बनाए रखने का प्रस्ताव रखा है।
-जीएसटी ने भारत में अत्यधिक खंडित अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को एकीकृत किया
-इस वर्ष औसत मासिक सकल जीएसटी राजस्व संग्रह दोगुना होकर 1.66 लाख करोड़ रुपये हो गया। जीएसटी कर आधार दोगुना हो गया है।
-94 फीसदी उद्योग जगत के नेता जीएसटी में बदलाव को काफी हद तक सकारात्मक मानते हैं। जीएसटी से आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन हुआ। जीएसटी ने व्यापार और उद्योग पर अनुपालन बोझ कम कर दिया।
-कम लॉजिस्टिक लागत और करों ने वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को कम करने में मदद की, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ हुआ
वर्षों से कर युक्तिकरण के प्रयास
– वित्त वर्ष 2013-14 में 2.2 लाख रुपये से बढ़कर 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर देनदारी नहीं।
-खुदरा व्यवसायों के लिए अनुमानित कराधान सीमा 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये कर दी गई।
-पेशेवरों के लिए अनुमानित कराधान सीमा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दी गई है।
-मौजूदा घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट आयकर 30 फीसदी से घटकर 22 फीसदी हो गया। नई विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट आयकर की दर 15 फीसदी।
करदाता सेवाओं में उपलब्धियां
टैक्स रिटर्न की औसत प्रोसेसिंग का समय वित्त वर्ष 2013-14 के 93 दिनों से घटकर अब मौजूदा वित्त वर्ष में 10 दिन हो गया है।
-अधिक दक्षता के लिए फेसलेस मूल्यांकन और अपील की शुरुआत की गई है।
-अद्यतन आयकर रिटर्न, नया फॉर्म 26एएस और सरलीकृत रिटर्न फाइलिंग के लिए पहले से भरा हुआ टैक्स रिटर्न। सीमा शुल्क में सुधार से आयात जारी करने का समय कम हो गया है।
-अंतर्देशीय कंटेनर डिपो में 47 फीसदी से 71 घंटे की कटौती
-एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स में 28 फीसदी से 44 घंटे की कटौती
-समुद्री बंदरगाहों पर 27 फीसदी से 85 घंटे की कटौती
अर्थव्यवस्था तब और अब
-साल 2014 में अर्थव्यवस्था को सुधारने और शासन प्रणालियों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी थी। समय की मांग थी। निवेश आकर्षित करें। अत्यंत आवश्यक सुधारों के लिए समर्थन बनाएं।
वित्त मंत्री ने कहा कि लोगों को आशा दें। सरकार ‘राष्ट्र-प्रथम’ के दृढ़ विश्वास के साथ सफल हुई। अब यह देखना उचित है कि हम 2014 तक कहां थे और अब कहां हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सदन के पटल पर श्वेत पत्र रखेगी।
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