शिवसेना मंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा विद्रोह किये जाने के बाद महाविकास आघाड़ी सरकार की स्थिरता पर प्रश्न खड़ा हो गया है। ऐसे में सरकार के गिरने पर भाजपा के समक्ष सत्ता स्थापना का फॉर्मुले बचते हैं, इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ 35 विधायकों का समर्थन है। यदि यह भाजपा के साथ मिल जाते हैं या गठबंधन करते हैं तो क्या होगा?
शिवसेना के 2/3 विधायकों का समर्थन
शिवसेना के कुल 55 विधायक हैं, ऐसे में लगभग 37 विधायकों का समर्थन टूटनेवाले दल को चाहिए। जिससे उन पर दल बदल कानून लागू नहीं होगा। विधान सभा में 37 विधायकों के इस दल को अलग गुट के रूप में मान्यता मिल जाएगी और वह गुट अपनी पसंद के अनुसार किसी भी दल का समर्थन या किसी दल की सहायता से सत्ता स्थापना कर सकता है। इस परिस्थिति में भारतीय जनता पार्टी अपने 106 विधायक और निर्दलीय सदस्यों के साथ सत्ता स्थापना कर सकती है।
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विद्रोही विधायकों की सदस्यता समाप्त हो
विधायक अपने पद से त्यागपत्र दें या दल बदल कानून के अंतर्गत पार्टी उनकी सदस्यता समाप्त कर दे। इसके पश्चात विधान सभा का संख्याबल कम हो जाएगा। इस स्थिति में भाजपा 106 विधायकों के साथ सबसे बड़ा दल होगा और वह सत्ता स्थापन कर सकता है।
ऐसा भी कर सकते हैं
विधान सभा में नियम 180 के अंतर्गत अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए। महाराष्ट्र विधान सभा में अध्यक्ष नहीं है, इस स्थिति में उपाध्यक्ष की यह जिम्मेदारी होगी। ऐसी स्थिति में सरकार बहुमत सिद्ध नहीं कर पाएगी और सरकार गिर जाएगी।