केपी शर्मा ओली ने 14 मई को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले 13 मई को इस पद उन्हें फिर से नियुक्त किया गया था। इसका कारण यह था कि विपक्षी पार्टियां इस पद के लिए संसद में जरुरी बहुमत साबित करने में असफल रही थी। इसके बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 69 वर्षीय ओली को रात में फिर से प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
इससे पहले 11 मई को ओली प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत प्राप्त करने में असफल रहे थे और उनकी सरकार अल्पमत में आने के कारण गिर गई थी।
तीसरी बार बने पीएम
इससे पहले ओली 11 अक्टूबर 2015 से तीन अगस्त 2016 तक और बाद में 15 फरवरी 2018 से 13 मई 2021 तक प्रधानमंत्री रहे थे। 14 मई को राष्ट्रपति शीतल निवास में एक समारोह में सीएपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली को फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
आसान नहीं आगे की राह
अब ओली की मुश्किलें अभी भी बरकार है। उन्हें अब 30 दिन के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा। यदि इसमें वे असफल रहते हैं तो संविधान के अनुच्छेद 76(5) के अनुसार सरकार गठन की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी।
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विपक्ष नहीं साबित कर पाया बहुमत
इससे पहले 11 मई को सदन में विश्वास मत साबित नहीं करने के बाद राष्ट्रपति ने विपक्षी पार्टियों को 13 मई, सुबह 9.00 बजे तक बहुमत साबित कर नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने का समय दिया था।
ओली ने पलट दिया पासा
ओली ने अंतिम समय तक बैठक कर कर बाजी को पलट दिया था। इस बैठक में माधव कुमार नेपाल ने अपना रुख बदल दिया। इससे देउबा का अगला प्रधानमंत्री बनने का सपना बिखर गया।