एनसीआर की तरह विकसित होगा राज्य राजधानी क्षेत्र, मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों को दिए ये निर्देश

यूपी में लखनऊ के साथ-साथ वाराणसी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, नैमिषारण्य, मां विंध्याचलधाम, माँ शाकुम्भरी देवी धाम, मां ललिता देवी धाम, माँ पाटेश्वरी धाम जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थलों पर ट्रैफिक मैनेजमेंट एक बड़ी चुनौती है।

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एनसीआर की तर्ज पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और उसके आस-पास क्षेत्रों को समाहित करते हुए राज्य राजधानी क्षेत्र विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 मार्च को शासन के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान दो सप्ताह में इस सम्बंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समन्वित और संतुलित विकास के लिए राजधानी के रूप में लखनऊ की क्षमताओं को विस्तार देने के उद्देश्य से लखनऊ और आस पास के जिलों को जोड़ते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की तर्ज पर ”उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र” का गठन किया जाना है। राजधानी लखनऊ आज मेट्रोपोलिटन सिटी के रूप में अत्याधुनिक नगरीय सुविधाओं से लैस हो रही है। विभिन्न नगरों से लोग यहां आकर अपना स्थायी निवास बनाना चाहते हैं। आस-पास के जिलों में भी जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है। कई बार अनियोजित विकास की शिकायतें भी मिलती हैं। ऐसे में एससीआर का गठन समन्वित विकास की दृष्टि से उपयोगी होगा। राज्य राजधानी क्षेत्र की विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर आगामी दो सप्ताह में प्रस्तुत करें।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप आज पुरातन काशी काशी नगरी ”नेचर कल्चर और एडवेंचर” का संगम बन रही है। काशी में हुए विकास कार्यों से आस-पास के जिलों के पोटेंशियल में भी विस्तार हुआ है। ऐसे में हमें इंटीग्रेटेड रीजनल डिवलेपमेंट प्लानिंग पर फोकस करना चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की भांति नियोजित विकास के उद्देश्य से जनपद वाराणसी व इसके सीमा से लगे जनपद भदोही, गाजीपुर, बलिया, चंदौली को जोड़ते हुए एकीकृत विकास योजना तैयार करें। पूर्वी उत्तर प्रदेश के आर्थिक प्रगति को तेज रफ्तार देने के उद्देश्य से यह प्रयास महत्वपूर्ण हो सकता है। आवास विभाग द्वारा प्रारंभिक अध्ययन के साथ अपनी कार्ययोजना प्रस्तुत की जाए।

प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में आज वाराणसी में जल, थल और वायु परिवहन की अभूतपूर्व परिवहन सेवा उपलब्ध है। अब शीघ्र ही यहां रोप-वे सेवा भी उपलब्ध होगी। रोप-वे निर्माण कार्य का यथाशीघ्र शिलान्यास कराते हुए निर्माण कार्य प्रारंभ करा दिया जाए।

देश के सभी प्रमुख शहरों में उत्तर प्रदेश का सूचना और पर्यटन केंद्र अवश्य हो। इसके माध्यम से प्रदेश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और औद्योगिक संभावनाओं के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर विकास प्राधिकरण, नगरीय निकाय में अर्बन टाउन प्लानर की तैनाती की जाए। परियोजनाओं का निर्धारण करते समय आगामी 50 वर्षों की स्थिति को ध्यान में रखें। विकास प्राधिकरण, नगरीय निकाय, स्थानीय प्रशासन और पुलिस यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में अवैध बस्तियां, रिहायशी कॉलोनी बसने न पाएं। प्राधिकरणों में मैनपॉवर की कमी न हो। आवश्यकतानुसार नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं।

बिजली बिल में गड़बड़ी न हो
बिजली बिल के समयबद्ध भुगतान के लिए उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए यह जरूरी है कि लोगों को समय पर सही बिल मिले। ओवरबिलिंग, फाल्स बिलिंग अथवा विलंब से बिल दिया जाना उपभोक्ता को परेशान करता है। इस व्यवस्था में सुधार के लिए बिलिंग और कलेक्शन क्षमता बढ़ाने के लिए ऊर्जा विभाग को ठोस कार्ययोजना बनानी होगी। ग्रामीण इलाकों में विशेष प्रयास की जरूरत है। बिजली के तारों को भूमिगत किये जाने के कार्य को समय से पूरा किया जाए। केबल टीवी, इंटरनेट ब्रॉडबैंड कनेक्शन आदि के लटकते-झूलते तारों का समुचित समाधान किया जाए।

यूपी के 17 शहर बनेंगे सेफ सिटी
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला सुरक्षा, सम्मान व स्वावलंबन के संकल्प की पूर्ति में “सेफ सिटी परियोजना” अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। स्मार्ट सिटी परियोजना अंतर्गत स्थापित इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से शहरों की सुरक्षा व्यवस्था स्मार्ट हुई है। विभिन्न वित्तीय निकायों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों को सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। उसे आईटीएमएस से इंटीग्रेट किया जाए। अंतर्विभागीय समन्वय के साथ कन्वर्जेंस के माध्यम से वित्तीय प्रबंधन करते हुए 17 शहरों को ”सेफ सिटी” बनाने के रूप में विकसित किया जाए। उत्तर प्रदेश 17 सेफ सिटी वाला पहला प्रदेश हो सकेगा।

सरकार का ट्रैफिक मैनेजमेंट पर जोर
योगी ने कहा कि लखनऊ के साथ-साथ वाराणसी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, नैमिषारण्य, मां विंध्याचलधाम, माँ शाकुम्भरी देवी धाम, मां ललिता देवी धाम, माँ पाटेश्वरी धाम जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थलों पर ट्रैफिक मैनेजमेंट एक बड़ी चुनौती है। विगत दिनों ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान हमारी टीम ने ट्रैफिक मैनेजमेंट का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया था। चैत्र नवरात्र के दौरान इसी प्रकार इन महत्वपूर्ण स्थलों के लिए योजना बनानी चाहिए। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी यहां की व्यवस्था का निरीक्षण करते रहें।चौराहों पर पब्लिक एड्रेस सिस्टम का अधिकधिक प्रयोग करें।

वाराणसी व आस-पास के जिलों के लिए तैयार हो एकीकृत विकास योजना
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि वाराणसी में मणिकर्णिका घाट व हरिश्चंद्र घाट पर स्वच्छता कार्यों को और व्यवस्थित किये जाने की आवश्यकता है। दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए यहां शौचालय की व्यवस्था हो। कई निजी औद्योगिक संस्थाओं ने इस कार्य मे सहयोग की इच्छा जताई है, उनसे संवाद कर आवश्यक कार्यवाही की जाए। वाराणसी में वरुणा कॉरीडोर का निर्माण कार्य अभी अधूरा है। इसे यथाशीघ्र पूरा कराया जाए। अयोध्या के विकास की समीक्षा करते हुए कहा कि राम जी की पैड़ी और नया घाट पर महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम बनाये जाएं। सिंचाई विभाग द्वारा इन घाटों पर साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। पब्लिक एड्रेस सिस्टम के माध्यम से लोगों को भी स्वच्छता अभियान से जोड़ें।

प्रदेश में बहुत से पुराने माध्यमिक विद्यालय हैं, जिनकी प्रदेश के शैक्षिक माहौल को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य सरकार से सहायता प्राप्त इन माध्यमिक विद्यालयों में आज अवस्थापना सुविधाओं के विकास की आवश्यकता है। ऐसे में शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों के व्यापक हित को देखते हुए प्रबंध तंत्र की अपेक्षाओं और आवश्यकताओं ध्यान रखते हुए इन विद्यालयों के लिए एक बेहतर कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत किया जाए।

अधिकारियों को कार्यालय में बैठने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कार्यालय में बैठने के सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान, डीआईओएस, बीएसए, जिला पूर्ति अधिकारी जैसे जनता से सीधा जुड़ाव रखने वाले सभी अधिकारी अपने कार्यालयों में ही आम जन से मिलें, उनकी शिकायतों, समस्याओं को सुनें और मेरिट के आधार पर निस्तारित करें। जनसुनवाई कार्यालयों में ही हो।

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