Lok Sabha: राज्यसभा में सभापति और नेता प्रतिपक्ष में तकरार, जगदीप धनखड़ नाराज

ऐसे में नेता प्रतिपक्ष को आसन के सामने वेल में आकर नारेबाजी नहीं करनी चाहिए थी।

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Lok Sabha: राज्यसभा के सभापति (Rajya Sabha Chairman) जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने 28 जून (शुक्रवार) को नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) और कांग्रेस के अध्यक्ष (Congress President) मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) के व्यवहार पर तीखी नाराजगी प्रकट की। धनखड़ ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष वरिष्ठ और मर्यादित पद होता है।

ऐसे में नेता प्रतिपक्ष को आसन के सामने वेल में आकर नारेबाजी नहीं करनी चाहिए थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने सदन के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा कि वे सदन में सभापति जगदीप धनखड़ का ध्यान आकृष्ट कराना चाहते थे, इसलिए वे वेल के अंदर गए। खरगे ने इस स्थिति के लिए राज्यसभा के सभापति को ही दोषी ठहराते हुए कहा कि वे प्रतिपक्ष की अनदेखी कर रहे हैं।

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राज्यसभा की वेल में आने पर चिंता
दरअसल, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के 28 जून (शुक्रवार) को राज्यसभा की वेल में आने पर चिंता जताते हुए कहा था, “आज का दिन भारतीय संसद के इतिहास में इतना दागदार हो गया है कि विपक्ष के नेता स्वयं वेल में आये हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। मैं पीड़ित और अचंभित हूं कि आज संसद की परंपरा इतनी गिर जाएगी, प्रतिपक्ष के नेता वेल में आयेंगे।”

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जानबूझकर उन्हें नजरअंदाज
सदन के बाहर खरगे ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे राज्यसभा के सभापति का ध्यान अपनी ओर दिलाना चाहते थे लेकिन वे केवल सत्ता पक्ष की ओर देख रहे थे। खरगे ने यह भी कहा कि जब वे नियमानुसार उनका ध्यान आकर्षित करा रहे थे तो राज्यसभा के सभापति को उनकी ओर देखना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय उन्होंने अपमानित करने के लिए जानबूझकर उन्हें नजरअंदाज कर दिया। ऐसी स्थिति में मुझे या तो अंदर जाना होगा या बहुत जोर से चिल्लाना होगा।

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सभापति साहब की गलती
खरगे ने आगे कहा कि वे निश्चित रूप से कह रहे हैं कि यह सभापति साहब की गलती है। मैं कहता हूं कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए और इस राज्यसभा की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इतने बड़े घोटाले हुए हैं। नीट परीक्षा का पेपर लीक हो गया है, लाखों बच्चे चिंतित हैं। इसलिए लोगों की समस्या पर ध्यान आकर्षित करने के लिए हमने एक विशेष चर्चा के लिए कहा, हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते थे। हम केवल छात्रों के मुद्दों को उठाना चाहते थे लेकिन उन्होंने इसका मौका नहीं दिया, इस पर ध्यान ही नहीं दिया और इसीलिए हमें ऐसा करना पड़ा।

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