Lok Sabha Elections: प्रधानमंत्री मोदी ने की चुनावी बांड योजना की तरफदारी, विपक्ष पर लगाया यह आरोप

कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से आजकल हम देखते हैं कि एक शब्द के प्रति कोई प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी नहीं है।

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Lok Sabha Elections: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावी बांड योजना को देश के चुनावों को कालेधन से मुक्ति दिलाने की दिशा में बड़ा कदम बताया है। उन्होंने कहा कि इससे राजनीतिक दलों के चुनावी चंदे का स्रोत सार्वजनिक हो गया है।

कांग्रेस पर झूठ फैलाने का आरोप
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अप्रैल को एक समाचार एजेंसी को दिये साक्षात्कार में विपक्ष पर चुनावी बांड योजना को लेकर झूठ फैलाने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित विपक्षी नेताओं के चुनावी बांड पर आरोप और क्या यह एक बुरा निर्णय था? इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में लंबे अर्से से चर्चा चली है कि चुनावों में कालेधन का बहुत बड़ा खतरनाक खेल हो रहा है। देश के चुनावों को कालेधन से मुक्ति मिलनी चाहिए। कालाधन खत्म करने के लिए पहले हमने 1000-2000 के नोटों को खत्म किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 20 हजार रुपये तक पार्टियां कैश ले सकती हैं। मैंने नियम बनाकर 20 हजार को ढाई हजार कर दिया, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि ये कैश वाला कारोबार चले। उन्होंने कहा, “जहां तक इलेक्टोरल बॉन्ड की बात है तो ये उसकी सक्सेस स्टोरी है, क्योंकि इससे मनी ट्रेल मिल रहा है कि किस कंपनी ने दिया, कैसे दिया, कहां दिया।”

कानून मेरी सरकार ने नहीं बनाया हैः मोदी
विपक्ष के इस आरोप पर कि भाजपा सभी संस्थानों पर नियंत्रण रखती है और कोई समान अवसर नहीं है? प्रधानमंत्री ने कहा, “एक कहावत है- नाच न जाने आंगन टेढ़ा। ये कभी ईडी, कभी सीबीआई, कभी ईवीएम का बहाना निकालेंगे। मूलत: वो अपनी पराजय के लिए रीजनिंग पहले से सेट करने में लगे हैं, ताकि पराजय उनकी खाते में ना चली जाए।” उन्होंने कहा कि जहां तक ईडी, सीबीआई की बात है तो इसमें एक भी कानून मेरी सरकार ने नहीं बनाया है। हमने तो इलेक्शन कमीशन में सुधार किए हैं। पहले तो प्रधानमंत्री एक साइन करके इलेक्शन कमीशन बना देते थे, आज तो उसमें विपक्ष भी रहता है।

कांग्रेस पर साधा निशाना
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से आजकल हम देखते हैं कि एक शब्द के प्रति कोई प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी नहीं है। आपने किसी नेता का पुराना वायरल वीडियो देखा होगा, जिसमें उनके हर विचार विरोधाभासी हैं। जब लोग यह देखते हैं तो उन्हें लगता है कि यह नेता जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में मैंने एक राजनेता को यह कहते हुए सुना, ‘एक झटके में गरीबी हटा दूंगा।’ जिनको 5-6 दशक तक सत्ता में रहने का मौका मिला, वो जब ऐसा कहते हैं तो देश सोचता है कि ये आदमी क्या कह रहा है।

राम मंदिर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विपक्ष के लिए यह एक राजनीतिक हथियार था। अब मंदिर बन गया है, इसलिए मुद्दा उनके हाथ से निकल गया है। उन्होंने कहा, “जहां तक रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की बात है तो उन्हें न्योता मिला लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया जबकि उन्हें गर्व होना चाहिए था। इससे स्पष्ट होता है कि उनके लिए वोट बैंक ही सबसे जरूरी है। ये किसी को नीचा दिखाना अपना अधिकार मानते हैं लेकिन मैं कहता हूं- ये तो नामदार हैं और मैं कामदार हूं।”

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देश के लिए अपने ‘विजन 2047’ पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2047 का जो मेरा विजन है वो मोदी की बपौती नहीं है। इसमें 15-20 लाख लोगों के विचारों को समाहित किया गया है। एक प्रकार से इसकी ऑनरशिप देश की है। मैंने उसको डॉक्यूमेंट के रूप में बनाया है।

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