Lok Sabha elections: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता दिलीप घोष ने अपनी चुनावी हार के पीछे साजिश की ओर इशारा किया है। उन्होंने 5 जून को कहा कि पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा अपनी पकड़ को बरकरार रख पाने में क्यों नाकाम रही, इसके कारणों का पता लगाएंगे।
साजिश की राजनीति का हिस्सा
घोष ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने बर्दवान-दुर्गापुर सीट पर पूरी मेहनत से चुनाव लड़ा लेकिन सफल नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि साजिश आदि राजनीति का हिस्सा हैं। मैं इसे इसी तरह लेता हूं। इसके बावजूद मैंने बहुत मेहनत की लेकिन सफल नहीं हो सका। राजनीति में हर कोई आपको पीछे धकेलने की फिराक में बैठा है।
घोष 2019 में मेदिनीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे लेकिन इस बार उन्हें बर्दवान-दुर्गापुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के कीर्ति आजाद के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा।
पूरी ईमानदारी से लड़ा चुनाव
यह पूछने पर कि क्या सीट बदला जाना भी उनकी हार का एक कारण हो सकता है, घोष ने कहा कि सब कुछ संभव है। सभी फैसलों के निहितार्थ होते हैं। बंगाल की जनता तय करेगी कि क्या सही है और क्या गलत। जब पार्टी ने मुझसे कहा तो मैंने पूरी शिद्दत से उसे अंजाम दिया। मैंने पूरी ईमानदारी से चुनाव लड़ा। मैं एक अनुशासित कार्यकर्ता हूं। मेरी पार्टी ने मुझसे चुनाव लड़ने को कहा, मैंने लड़ा।
उन्होंने कहा, ”बर्दवान एक मुश्किल सीट थी और जो लागे वहां गए, वे स्वीकार करेंगे कि सीट पर चुनौती थी। जिन लोगों ने मुझे इस सीट के लिए नामांकित किया, वे इस पर विचार करेंगे।”
वर्ष 2021 में भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष रहे घोष ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल में पार्टी अपनी पकड़ क्यों बरकरार रख पाने में नाकाम रही, इसके कारणों का पता लगाये जाने की जरूरत है।
हार पर होगी चर्चा
उन्होंने कहा कि पार्टी 2021 तक तेज गति से आगे बढ़ रही थी लेकिन उसके बाद कैसे अपनी राह से भटक गई। हम 2021 तक जिस गति से आगे बढ़ रहे थे. उस गति से आगे नहीं बढ़ सके। हमें इस साल बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए। कुछ कमी जरूर रही होगी। हमें इसकी जांच करनी चाहिए। हर चीज पर चर्चा होनी चाहिए।”
भाजपा को मिली मात्र 12 सीटें
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उसकी संख्या घटकर 12 रह गई।