West Bengal: ओबीसी आरक्षण और साधु-संतों के खिलाफ ममता का बयान, अंतिम चरण के मतदान पर होगा असर?

पिछले सप्ताह कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बंगाल में 2010 से दिए गए कई वर्गों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा रद्द कर दिया क्योंकि हिंदू समुदाय की जातियों को दरकिनार कर केवल मुस्लिम समुदाय की जातियों को ओबीसी का सर्टिफिकेट दिया गया था।

413

West Bengal में अंतिम चरण के मतदान से पहले ओबीसी आरक्षण और साधु- संतों के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी पर विवाद जारी है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, इन घटनाक्रमों ने तृणमूल को रणनीतिक नुकसान में भी डाला है, जबकि भाजपा इस स्थिति का आक्रामक रूप से लाभ उठा रही है।

टीएमसी का गढ़
बंगाल में कोलकाता और उसके आसपास के दक्षिण और उत्तर 24 परगना जिलों में अंतिम चरण में नौ निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान होगा। सभी नौ सीटें वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस के पास हैं और इन्हें पार्टी का गढ़ माना जाता है।

उच्च न्यायालय ने रद्द किया ओबीसी का दर्जा
पिछले सप्ताह कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बंगाल में 2010 से दिए गए कई वर्गों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा रद्द कर दिया क्योंकि हिंदू समुदाय की जातियों को दरकिनार कर केवल मुस्लिम समुदाय की जातियों को ओबीसी का सर्टिफिकेट दिया गया था।

ममता बनर्जी देगी चुनौती
ममता बनर्जी ने कहा कि इस फैसले को वह उच्च न्यायालय में चुनौती देंगी, जिससे लगभग पांच लाख ओबीसी कार्डधारक प्रभावित हुए हैं। बनर्जी ने आरोप लगाया कि न्यायालय का आदेश भाजपा से “प्रभावित” था। उन्होंने दावा किया कि कोई भी ओबीसी के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों को नहीं छीन सकता।

Uttarakhand: भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका किस क्षेत्र की होगी? उपराष्ट्रपति ने किया यह दावा

इस बीच, 18 मई को, बनर्जी ने रामकृष्ण मिशन (आरकेएम), भारत सेवाश्रम संघ (बीएसएस) और इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के साधुओं के एक वर्ग की आलोचना करके एक और विवाद को जन्म दिया।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
राजनीतिक विश्लेषक मैदुल इस्लाम ने कहा, “यह फैसला लगभग पांच लाख लोगों को प्रभावित करता है, जिससे विभिन्न समुदायों में काफी असंतोष पैदा होता है। मुस्लिम ओबीसी, जिन्होंने तृणमूल से मोहभंग के संकेत दिखाए थे, अब अदालत के फैसले के मद्देनजर बनर्जी की पार्टी के साथ फिर से जुड़ सकते हैं। हालांकि, हिंदू ओबीसी, जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ दिया था, वह इस बार और अधिक मजबूती के साथ भाजपा से जुड़ेंगे जो चुनावी ध्रुवीकरण का कारण होगा।”

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.