Lok Sabha Elections: ‘लोगों को जमा करने के लिए उन्हें नाचना पड़ता है!’ घोष ने फिर साधा ममता पर निशाना

सत्ता में आने के बाद से ममता बनर्जी ने सांस्कृतिक कलाकारों के लिए विभिन्न परियोजनाओं की घोषणा की है, भत्ता भी शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री को बार-बार आदिवासी नृत्य और गीतों का आनंद लेते देखा गया है।

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Lok Sabha Elections: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नये साल के पहले दिन चालसा में एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल हुईं थीं। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में उन्हें नाचने और गाने के मूड में देखा गया था। इसी पर तंज कसते हुए बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा केंद्र के भाजपा उम्मीदवार दिलीप घोष ने कहा कि लोगों को इकट्ठा करने के लिए उन्हें नाचना पड़ता है।

सत्ताधारी खेमे पर साधा निशाना
दिलीप घोष 15 अप्रैल की सुबह चुनाव प्रचार करने बर्दवान जिले के सदरघाट इलाके में निकले थे। उन्होंने दामोदर घाट पर चैत्र छठ में आये श्रद्धालुओं से बात की। तेलीपुकुर में चाय पर चर्चा कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके बाद पत्रकारों से रूबरू होते हुए दिलीप घोष ने कई मुद्दों पर सत्ताधारी खेमे पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि लोगों को इकट्ठा करने के लिए उन्हें नृत्य करना पड़ता है। मुख्यमंत्री भी नाच रही हैं, उम्मीदवार भी नाच रहे हैं। लोग सड़क किनारे डांस देखने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं। हम जहां भी जा रहे हैं लोगों की भारी भीड़ उमर रही है।

टीएमसी ने कहा- हम आयोग के पास जाएंगे
दरअसल सत्ता में आने के बाद से ममता बनर्जी ने सांस्कृतिक कलाकारों के लिए विभिन्न परियोजनाओं की घोषणा की है, भत्ता भी शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री को बार-बार आदिवासी नृत्य और गीतों का आनंद लेते देखा गया है। इसलिए, तृणमूल को लगता है कि चालसा कार्यक्रम का मुद्दा उठाकर ममता पर निशाना साधने का कोई मतलब नहीं है। तृणमूल प्रवक्ता प्रसेनजीत दास ने कहा, ”जनप्रतिनिधि बनने से पहले बंगाल की शिक्षा संस्कृति सीखनी चाहिए।  दरअसल ये बातें उन्होंने सीखी ही नहीं। इसलिए उन्होंने इस प्रकार की बात की है। हम आयोग के पास जायेंगे।”

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जुबानी जंग जारी
उल्लेखनीय है कि दिलीप घोष ने पहले भी ममता के बारे में बुरा कहा था। इसकी शिकायत तृणमूल पहले ही चुनाव आयोग से कर चुकी है। उस शिकायत के मद्देनजर बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार ने माफी भी मांगी थी। लेकिन इसके बावजूद एक बार फिर जुबानी जंग जारी है। 

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