Lok Sabha Elections: उत्तर प्रदेश में भाजपा को क्यों मिलीं कम सीटें? कैप्टन रिजवी ने बताया बड़ा कारण

उत्तरल प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जिसने 2019 में जीती गई पांच सीटों से बढ़कर 37 सीटें जीतीं। इसने सत्तारूढ़ भाजपा की सीटों की संख्या को 2019 के चुनावों में जीती गई 62 सीटों से घटाकर 33 करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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Lok Sabha Elections:उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन ने जबरदस्त सफलता हासिल की है। उन्होंने 80 में से 43 सीटें जीतीं हैं। यह केवल संयोग नहीं है, बल्कि टिकट वितरण, पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) आउटरीच और राजपूत समुदाय के बीच गुस्से जैसे कई फैक्टर्स ने इसमें अहम भूमिका निभाई है।

अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जिसने 2019 में जीती गई पांच सीटों से बढ़कर 37 सीटें जीतीं। इसने सत्तारूढ़ भाजपा की सीटों की संख्या को 2019 के चुनावों में जीती गई 62 सीटों से घटाकर 33 करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने भाजपा को अपने दम पर 272 के बहुमत के निशान तक पहुंचने से भी रोक दिया।

क्यों आईं कम सीटें?
हिंदू रक्षा शक्ति के संस्थापक डॉ. कैप्टन सिकंदर रिजवी  का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सीटों में आई भारी गिरावट अप्रत्याशित नहीं है। उनका मानना है, “जो भी लोकसभा का चुनाव 2024 हुआ है, जिसमें कुछ बातें उभर कर के आई हैं, खास करके हमारे उत्तर प्रदेश का, यहां पर हमारी भारतीय जनता पार्टी की सीटें कम हुई हैं, इसका कारण क्या है? जबकि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल तो ऊपर रहा है। उन्होंने मेहनत तो बहुत किया लेकिन बात सबसे बड़ी यह है कि हम समझ नहीं पाए, यहां के हालात को, उत्तर प्रदेश की राजनीति को।”

कई हाई प्रोफाइल सीट
डॉ. कैप्टन रिजवी ने कहा,”अब 80 लोकसभा सीटों के लिए उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान हुआ और प्रधानमंत्री की सीट समेत कई हाई प्रोफाइल संसदीय सीटों के लिए उत्तर प्रदेश जाना जाता है। इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में कई जाने- माने चेहरों ने नामांकन दाखिल किया था। चुनाव मैदान में उतरे केंद्रीय कैबिनेट के मंत्री भी थे, वे उत्तर प्रदेश की अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ रहे थे। प्रधान मंत्री मोदी अपनी लोकसभा सीट वाराणसी से जीत गए। राहुल गांधी रायबरेली सीट से बड़े अंतर से जीते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से भाजपा फैजाबाद( अयोध्या) सीट हार गयी जिसे राम मंदिर के कारण बहुत महत्वपूर्ण लोकसभा सीट माना जाता है।”

मुसलमानों का लामबंद होना जीत का एक बड़ा कारण
हिंदू रक्षा शक्ति के संस्थापक डॉ. कैप्टन सिकंदर रिजवी ने कहा, “हेमा मालिनी ने लगातार 3 बार लोकसभा चुनाव जीत कर के उन्होंने हैट्रिक बना दी। वह काम भी करती हैं। समाजवादी पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव हैं, रवि किशन गोरखपुर से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार, राजनाथ सिंह लखनऊ से हैं, जो रक्षा मंत्री हैं, पंकज चौधरी जी हैं। ये सारी हस्तियां जीत गयी हैं। लेकिन मौजूदा राज्य सरकार भाजपा के नेतृत्व वाली है। इसलिए भाजपा के लिए यूपी से ज्यादातर सीटें जीतना जरूरी हो गया था। डबल इंजन की सरकार ने मतदाताओं का समर्थन पाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। प्रधानमंत्री खुद वाराणसी से चुनाव जीत चुके हैं। जिसे राज्य की सबसे बड़ी हाई प्रोफाइल सीट माना जाता है। इसके अलावा भी बहुत सारी सीटें हैं, बहुत से जीत के भी आये हैं, बहुत सारे हमारे उम्मीदवार हार भी गए हैं। मैनपुरी,कन्नौज, रायबरेली और अमेठी जैसी कई सीटें कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसी राजनीतिक पार्टियों ने जीत ली हैं। इन सीटों पर इन पार्टियों की मजबूत पकड़ है और इनका प्रभाव भी काफी है। लेकिन इन सीटों पर बहुत अधिक संख्या में मुस्लिम मतदाता भी हैं। उत्तर प्रदेश में कुछ सीटें हैं, जो मुस्लिम बहुल हैं, जैसे जौनपुर से कृपा शंकर सिंह हार गए। यहां से  समाजवादी पार्टी के बाबू सिंह कुशवाहा विजयी हुए हैं।”

जौनपुर से कृपाशंकर सिंह की हार का कारण
कैप्टन रिजवी ने कहा, “कृपा शंकर सिंह महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं। वे पहले कांग्रेस में थे। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन किया है। जौनपुर जनरल सीट है । वहां मुस्लिम अधिक हैं। इसी तरह समझ मुरादबाद, रायबरेली है, लखनऊ भी है, लेकिन लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह को लोग पसंद करते हैं। उनको वोट करते हैं। मुसलमान भी उनको वोट करते हैं। इसलिए वह जीत गए। लेकिन मुसलमान लामबंद होकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ वोट कर रहे थे। उसका एक बड़ा कारण यह था कि इन 5 सालों के अंदर हमारे कुछ राष्ट्रवादी ऐसे वक्ता हैं, जो बड़े भाई का कुर्ता और छोटे बड़े भाई का पजामा कहकर तथा मुसलमानों को डरा-धमकाकर लामबंद होने का मौका दिया। एक तरह से वे मुसलमानों की घूम-फिर कर मदद कर रहे थे। राष्ट्रवाद के नाम पर उनको डरा रहे थे की हिंदू आ जायेगा, हिंदू आ जाएगा और तुमको देश से बाहर निकाला हो जायेगा और यहां गृह युद्ध होने जा रहा है।”

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भाजपा के एक नेता का षड्यंत्र
कैप्टन रिजवी ने आगे कहा, “भाजपा के कुछ प्रवक्ता, जो अपने को राष्ट्रवादी कहते हैं और उनका अलीगढ़ से आगमन हुआ है। कभी वो सिमी के साथ उठते बैठते थे। कभी वे कांग्रेस के बहुत नजदीक थे राष्ट्रवादी साहब जो हैं , कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के नजदीकी थे, कभी वो सलमान खुर्शीद की जो पत्नी हैं, लूईस जी, उसके साथ रहते थे। बाद में राष्ट्रवादी बन गए , लेकिन उनका जो बार-बार इस तरह का उद्बोधन होता थाष उसमें ये होता था कि मुसलमान ये कर रहा है मुसलमान वो कर रहा है। ये मुसलमान को डराने की साजिश थी। कहीं न कहीं कोशिश थी कि मुसलमान लामबंद हो जाएं, हिंदुओं के खिलाफ इस एलेक्शन में उत्तर प्रदेश में। इस कारण मुसलमानों को लगने लगा कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा। उनके लिए जीना मुश्किल हो जाएगा। इस तरह की बातें करके उन्होने मुसलमानों को लामबंद होने का मौका दे दिया। दूसरे सच्चे राष्ट्रवादी भी हैं। जो देश के लिए बोलते हैं, राज्य के लिए और सनातन के लिए बोलते हैं, हिंदू राष्ट्र के लिए बोलते हैं। लेकिन उस महाशय की शैली बिल्कुल अलग थी। वह आडंबर लगता था। वे राष्ट्रवाद की बात कर रहे थे लेकिन पीछे से मुसलमानों को खुश कर रहे थे। उकसा रहे थे कि तुम मुसलमान लामबंद हो जाओ।”

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