Lok Sabha elections: ‘एग्जिट पोल’ क्यों हुआ फेल ?

देश ही नहीं प्रदेशों में भी चुनाव बाद के ज्यादातर अनुमान (एग्जिट पोल) औंधे मुंह गिरे। इसका कारण क्या है? हिंदुस्थान पोस्ट ने इस बारे में कई विशेषज्ञों से बात की।

177

Lok Sabha elections: देश ही नहीं प्रदेशों में भी चुनाव बाद के ज्यादातर अनुमान (एग्जिट पोल) औंधे मुंह गिरे। इसका कारण क्या है? जब एग्जिट पोल विशेषज्ञों से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर स्वीकार किया कि कुछ कारकों और गणनाओं के अनुमान के कारण भविष्यवाणी गलत साबित हुई।

जातिगत गणित का अनुमान गलत
‘जन की बात’ के प्रदीप भंडारी ने भविष्यवाणी की थी कि केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए 362 से 392 सीटें जीतेगा, जबकि विपक्षी गठबंधन 141 से 161 सीटें जीतेगा। इस बारे में बोलते हुए भंडारी ने कहा कि इस बार भविष्यवाणी गलत साबित हुई। क्योंकि ये एजेंसियां उत्तर प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर और जातिगत गणित को समझने में विफल रहीं। आख़िरकार, यह डेटा के वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित है और यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता था कि जाति का प्रभाव उत्तर प्रदेश को इस हद तक प्रभावित कर सकता है। भंडारी ने समझाया।

हिंदुस्थान पोस्ट डिजिटल मीडिया द्वारा कराए गए चुनाव बाद सर्वेक्षण में कहा गया कि महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से भाजपा के नेतृत्व वाला महागठबंधन 30 सीटों पर सफल होगा, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी को 18 सीटों से संतोष करना पड़ेगा। सर्वेक्षण में यह अनुमान लगाया गया थाकि महायुति के उम्मीदवार मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करेंगे। लेकिन असल में महायुति को 17 सीटें और महाविकास अघाड़ी को 31 सीटें मिलीं।

Lok Sabha Elections: कई राज्यों में बढ़ा है भाजपा का जनाधार, इंडी गठबंधन से ज्यादा है भाजपा की सीटें, स्वाती सिंह का दावा

इस कारण गलत साबित हुआ एग्जिट पोल
हिंदुस्थान पोस्ट के सलाहकार मयूर परिख ने कहा, ‘हमने राज्य की 48 सीटों पर जो अनुमान जताया था, उसमें से 28 सीटों पर भविष्यवाणी सही निकली, जबकि 20 पर गलत थीं। इसका कारण यह है कि उद्धव ठाकरे और शिवसेना (शिंदे) और शरद पवार तथा अजीत पवार की एनसीपी पहली बार चुनाव लड़ रहे थे क्योंकि उनका पिछला डेटा उपलब्ध नहीं है और उनके वोटों की भविष्यवाणी नहीं की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कुछ अच्छे फैसले लेने के परिणामस्वरूप यह उम्मीद की जा रही थी कि ‘एनडीए’ को वोट मिलेंगे। परिख ने कहा, “अनुमान की विफलता का एक और कारण यह है कि कांग्रेस, शरद पवार की राकांपा और उबाठा गुट के वोट अप्रत्याशित रूप से एक-दूसरे को स्थानांतरित हो गए।”

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.