Vaishvik Hindu Rashtra Mahotsav: लोकसभा में असदुद्दीन ओवैसी के ‘जय फिलिस्तीन’ नारे से आक्रोशित हिन्दू, ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में लाया यह प्रस्ताव

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Vaishvik Hindu Rashtra Mahotsav: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) (एआईएमआईएम) के हैदराबाद (Hyderabad) से सांसद असदुद्दीन ओवैसी (MP Asaduddin Owaisi) ने लोकसभा (Lok Sabha) में ‘लोकसभा सदस्यता’ (Lok Sabha Membership) की शपथ ग्रहण करते समय ‘जय भीम, जय मीम’, ‘अल्लाहू अकबर’ (Jai Bhim, Jai Mim, Allahu Akbar) के नारे सहित ‘जय फिलिस्तीन (Jai Palestine) का नारा भी लगाया।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 ‘ड’ के अनुसार संसद के किसी भी सदस्य द्वारा अन्य किसी भी देश का समर्थन करना अवैध है तथा इसके अनुसार उसकी सदस्यता निरस्त होती है । भारतीय संसद में शपथ ग्रहण करते समय अन्य देशों के प्रति निष्ठा रखना देशद्रोह है तथा यह भारत का अपमान है।

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ओवैसी के प्रति तीव्र निषेध व्यक्त
इसलिए वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में असदुद्दीन ओवैसी के प्रति तीव्र निषेध व्यक्त किया गया एवं लोकसभा के सभापति एवं केंद्रीय संसदीय कामकाज मंत्री से असदुद्दीन ओवैसी की संसद सदस्यता निरस्त करने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया। आज ‘जय फिलिस्तीन’ कहने वाले कल ‘जय हमास’ और उससे भी आगे जाकर ‘जय पाकिस्तान’ कहने का भी साहस करेंगे। इसलिए ओवैसी पर चुनाव लडने हेतु स्थायी रूप से प्रतिबंध लगाया जाए, ऐसी मांग भी इस समय की गई।

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‘जय हिन्दू राष्ट्र, जय भारत’ का जयघोष
‘हर हर महादेव’ के जयघोष में सर्व हिन्दुत्वनिष्ठों ने इसका समर्थन किया। इसके साथ ही लोकसभा में भाजपा सांसद श्री. छत्रपाल गंगवार ने लोकसभा सदस्यता की शपथ ग्रहण करते समय ‘जय हिन्दू राष्ट्र, जय भारत’ का जयघोष किया। ‘इस सकारात्मक कृति का हम स्वागत करते हैं’, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने इस अवसर पर कहा, “साधु-संत अपने आश्रम एवं मठ छोडकर आदिवासी क्षेत्र में धर्मप्रसार करें !”- पू. श्री रामबालक दास महात्यागी महाराज

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संत परंपरा ने स्वतंत्रता का मार्ग किया प्रशस्त
अनेक युगों से भारत में संत समाज की बडी भूमिका रही है । संत परंपरा ने स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया है । अभी भी संतों के बिना हिन्दू राष्ट्र की स्थापना असंभव है । आदिवासियों को ‘वे हिन्दू नहीं है’, यह बताकर हिन्दू धर्म, संत एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के विरुद्ध अनुचित जानकारी देकर भडकाया जा रहा है । इसलिए साधु-संतों ने अपने आश्रम और मठ छोडकर समाज में जाकर धर्मप्रसार करना आवश्यक है । ऐसा करने से धर्म और संतों के विरुद्ध होनेवाले कुप्रचार पर रोक लगेगी तथा नई पीढी पर भी संस्कार होंगे, ऐसा प्रतिपादन छत्तीसगढ स्थित जामडी पाटेश्वरधाम सेवा संस्थान के संचालक पू. श्री रामबालक दास महात्यागी महाराज ने किया ।

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कर्नाटक के युवा ब्रिगेड
‘हिन्दुत्व के कार्य में युवकों का सहभाग’ इस विषय पर मार्गदर्शन करते समय कर्नाटक के युवा ब्रिगेड के संस्थापक अध्यक्ष चक्रवर्ती सुलीबेले ने कहा, ‘‘युवकों का धर्मकार्य में सहभाग बढाने के लिए नदी तथा मंदिरों के निकटवर्ती तालाबों की स्वच्छता करने का उपक्रम हमने किया । मंदिरों की स्वच्छता द्वारा अनेक नए युवक धर्मकार्य से जुड गए ।

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