Lok Sabha Elections: भाजपा को कहां हुआ नुकसान, कहां हुआ लाभ? पढ़िये इस खबर में

अबकी बार, 400 पार की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। लेकिन भाजपा को मात्र 240 से संतोष करना पड़ा और भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए को मात्र 293 सीटें ही मिल पाईं।

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Lok Sabha Elections: अबकी बार, 400 पार की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। लेकिन भाजपा को मात्र 240 से संतोष करना पड़ा और भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए को मात्र 293 सीटें ही मिल पाईं। हालांकि 543 लोकसभा सीटों वाली संसद में बहुमत का आंकड़ा 272 ही है। इस तरह तीसरी बार एनडीए की सरकार बननी तय है। इसके लिए दिल्ली में राजनीतिक हलचल भी बढ़ गई है।

अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर भाजपा की उम्मीदों पर क्यों पानी फिर गया? कहां चूक हो गई?

बिहार में जेडीयू का साथ आया काम
जनता दल यूनाइटेड के कारण बिहार में भाजपा को काफी लाभ मिला। फिर भी यहां इंडी गठबंधन के 9% वोट बढ़ गए। प्रदेश में कुल 40 सीटों में से 7 सीटों पर इंडी गठबंधन की जीत हुई। जबकि 12 जेडीयू, 12 बीजेपी, 5 एलजेपी, 4 राजद, 3 कांग्रेस, 2 सीपीआई (एमएल), 1- 1 सीट हम और निर्दलीय को मिली। 2019 में बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16, एलजेपी ने 6 और कांग्रेस ने एक सीट जीती थी। बिहार में इंडी गठबंधन का वोट शेयर 9% बढ़ गया जबकि एनडीए के वोट में 2% की कमी आई। जानकारों का मानना है कि चुनाव से पहले जेडीयू के साथ गठबंधन के कारण भाजपा को लाभ हुआ और उसने 12 सीटों पर जीत हासिल की।

दक्षिण भारत का द्वार खुला
भारतीय जनता पार्टी ने केरल में खाता खोला, तेलंगाना में दोगुनी सीटें जीतीं, आंध्र में 3 सीटों पर जीत हासिल की, हालांकि कर्नाटक में 8 सीटें खो दीं। दक्षिण भारत की कुल 129 सीटों में से भाजपा ने 29 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने 40 सीटें जीतीं, डीएमके ने 22 सीटें जीतीं, जबकि कर्नाटक में 28 में से 17 बीजेपी को, 9 कांग्रेस को, 2 सीटें जेडीएस को मिलीं। आंध्र में तेलुगु देशम को 25 में से 16, वाईएसआर को 4, बीजेपी को 3 सीटें मिलीं।

आंध्र में तेलगु देशम से गठबंधन का मिला लाभ
आंध्र में तेलुगु देशम के साथ गठबंधन से बीजेपी को लाभ मिला। केरल में लोकप्रिय चेहरे सुरेश गोपी ने बीजेपी का खाता खोला। तेलंगाना में बीआरएस के वोट बीजेपी को मिले, जिससे उसकी सीटें 4 से बढ़कर 8 हो गईं, जबकि तमिलनाडु में सीट तो नहीं मिली लेकिन वोटों का प्रतिशत जरुर बढ़ा।

बंगाल में भाजपा को बड़ा नुकसान
पश्चिम बंगाल में भाजपा को 6 सीटों का नुकसान हुआ, जबकि तृणमूल को 7 सीटों का फायदा हुआ, लेकिन वोट शेयर में सिर्फ 2% का अंतर रहा। इस प्रदेश में कुल 42 में से 29 सीटों पर ममता का दबदबा रहा। बीजेपी को 12 सीटों से संतोष करना पड़ा। कांग्रेस को एक सीट मिली। 2019 में बीजेपी ने 18 सीटें और तृणमूल ने 22 सीटें जीतीं थीं। यहां एनडीए का वोट शेयर 2 प्रतिशत घट गया, जबकि तृणमूल का 2 प्रतिशत बढ़ गया। संदेशखाली मामले का कोई प्रभाव चुनाव पर नहीं पड़ा।

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महाराष्ट्र में कांग्रेस को लाभ
शिवसेना-राष्ट्रवादी में फूट से कांग्रेस को ज्यादा फायदा हुआ। इस प्रदेश मे भारतीय जनता पार्टी को नुकसान हुआ। भाजपा ने 48 में से 9 सीटों पर जीत प्राप्त की। 13 कांग्रेस, 9 शिवसेना (उद्धव), 7 शिवसेना (शिंदे), 8 एनसीपी (शरद पवार), 1 एनसीपी ( अजीतदादा) जीत गए। 2019 में भाजपा के पास 23, शिवसेना के पास 18 और एनसीपी के पास 4 सीटें थीं। चुनाव में सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को हुआ। केवल 17% वोट पाने के बावजूद कांग्रेस ने सबसे अधिक सीटें जीतीं। सबसे ज्यादा हिस्सेदारी (26%) होने के बावजूद बीजेपी को 14 से 9 सीटों का नुकसान हुआ। उसे मात्र 9 सीटों पर जीत मिली।

एनडीए को कैसे हुए नुकसान?

-स्थानीय मुद्दे प्रभावी होने से क्षेत्रीय दलों को फायदा हुआ, सातों चरणों में बीजेपी का नैरेटिव बदल गया।

-पूरी पार्टी इस मुगालते में रही कि उसे मोदी के दम पर बहुमत मिल जायेगा। मोदी खुद कई बार कह चुके हैं कि सिर्फ मेरे भरोसे मत रहो।

-कांग्रेस की लगातार आलोचना की लेकिन असली लड़ाई क्षेत्रीय पार्टियों से थी।

-उत्तर प्रदेश में ऊंची जाति की नाराजगी और महाराष्ट्र में शिवसेना-राष्ट्रवादी विभाजन ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया।

-किसानों की शिकायतें दूर न करने के कारण बीजेपी को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में नुकसान उठाना पड़ा।

-आरक्षण के मुद्दे पर समाधान नहीं ढूंढ पाने के कारण भाजपा को अनुसूचित जाति की 18 सीटें और अनुसूचित जनजाति की 6 सीटें गंवानी पड़ीं। 2019 में बीजेपी ने हिंदी बेल्ट में 205 में से 123 सीटें जीतीं थीं।

नॉर्थ ईस्ट मे भाजपा को लाभ
नॉर्थ ईस्ट के 8 राज्यों की कुल 25 सीटों में से बीजेपी ने 13 और कांग्रेस ने 7 सीटें जीतीं। मणिपुर में बीजेपी को 2 सीटों का नुकसान हुआ।

उत्तर प्रदेश: सपा और कांग्रेस ने 80 में से 41 सीटें जीतीं

 सबसे अधिक लोकसभा सीट( 80) में से 37 सपा, 33 बीजेपी, 6 कांग्रेस, 2 आरएलडी और अपना दल, आजाद समाज को 1-1 सीट पर जीत मिली है। इस प्रदेश में बीजेपी की 29 सीटें घटी हैं, सपा की 32 सीटें बढ़ीं। क्यों? राम मंदिर का नैरेशन फेल हो गया। बीजेपी फैजाबाद सीट (अयोध्या के भीतर) भी 54 हजार से ज्यादा वोटों से हार गई।

राजस्थान: 25 में से 14 बीजेपी, 8 कांग्रेस ने जीतीं
राजस्थान में  25 सीटों में से बीजेपी ने 14 सीटें, कांग्रेस ने 8 सीटें और रालोपा ने एक सीट जीतीं। 2019 में बीजेपी ने 24 सीटें जीती थीं। 1 रालोपा के पास था। इस बार बीजेपी का जातीय समीकरण बिगड़ गया लगता है। आरक्षण मुद्दे पर एससी-एसटी में असंतोष देखा गया। जाट-राजपूतों में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई। गुर्जर-मीणा एक हो गये। बीजेपी का वोट शेयर 60% से गिरकर 49% हो गया।

हरियाणा में भी झटका
हरियाणा में 10 में से 5 सीटों पर भाजपा की जीत हुई। इस प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस को 5-5 सीटें मिलीं। 2019 में बीजेपी के पास 10 थे। वास्तव में किसानों के आंदोलन, सरकार के खिलाफ गुस्सा और पहलवानों के आंदोलन के कारण इस प्रदेश में बीजेपी को आधी सीटें गंवानी पड़ीं।

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