Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) कैबिनेट ने फैसला किया है कि अब राज्य के मंत्री अपना आयकर खुद भरेंगे, न कि राज्य सरकार यह खर्च वहन करेगी। 25 जून (मंगलवार) को हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह फैसला लिया।
गौरतलब है कि 1972 में बने इस नियम के तहत मंत्रियों का आयकर सरकार भरती थी। 52 साल बाद मोहन यादव सरकार ने इस फैसले को बदल दिया और मंत्रियों को अपने आयकर के भुगतान के लिए खुद जिम्मेदार बना दिया। अब तक मंत्रियों के आयकर का भुगतान राज्य सरकार करती थी। लेकिन मोहन यादव के फैसले के बाद अब मंत्री अपने आयकर के भुगतान के लिए खुद जिम्मेदार होंगे।
‘सरकार पर कोई वित्तीय बोझ नहीं’
मुख्यमंत्री यादव ने एक बयान में कहा कि कैबिनेट ने 1972 के उस नियम को खत्म करने का फैसला किया है, जिसके तहत राज्य सरकार मंत्रियों के वेतन और भत्तों पर आयकर का भुगतान करती थी। यादव ने कहा, “सभी मंत्री अपना आयकर खुद भरेंगे और सरकार पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा। अभी तक 1972 के नियम के अनुसार मंत्रियों और संसदीय सचिवों के आयकर का बोझ सरकार पर था, लेकिन अब सभी मंत्री अपने वेतन और भत्तों पर आयकर का भुगतान करेंगे।” राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि मंत्री खुद अपना आयकर भरें। उन्होंने कहा, “सुझाव स्वीकार कर लिया गया और इसलिए इस संबंध में निर्णय लिया गया।”
सरकार बचाएगी करोड़ों रुपए
हर साल सरकार मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आयकर पर करोड़ों रुपए खर्च करती थी। इस नए फैसले के बाद यह रकम सरकार के खाते में बचेगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 से 2024 के लिए राज्य सरकार ने मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष समेत 35 जनप्रतिनिधियों का 79 लाख रुपए से ज्यादा आयकर जमा कराया है। पिछले पांच सालों में सरकार ने मंत्रियों के आयकर पर करीब 3.5 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
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