Maha Kumbh 2025: 26 फरवरी को महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन 144 साल में एक बार आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला प्रयागराज में संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर पर करोड़ो श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए पहुंचे, जिसमें कई राजनेता और मशहूर हस्तियां भी शामिल थीं।
हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे इस अवसर पर अनुपस्थित रहे, जिसके बाद सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री रामदास अठावले ने दोनों नेताओं पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
जम्मू: केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, “राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे कुंभ में नहीं गए। मुझे लगता है कि अगर राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे हिंदू हैं, तो उन्हें कुंभ में जाना चाहिए था…” pic.twitter.com/r5jotDSBog
— IANS Hindi (@IANSKhabar) February 27, 2025
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हिंदू धर्म में विश्वास नहीं रखते…
रामदास अठावले ने कहा कि राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे का कुंभ मेले में न जाना यह दर्शाता है कि वे हिंदू धर्म में विश्वास नहीं रखते। उन्होंने आगे कहा कि हिंदू धर्म के अनुयायियों को आगामी चुनावों में इन नेताओं को वोट नहीं देना चाहिए। अठावले ने यह भी कहा कि राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे को यह समझना चाहिए था कि महाकुंभ पीएम मोदी या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नहीं है, बल्कि यह हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, जो सभी हिंदुओं के लिए पवित्र है।
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विशाल धार्मिक आयोजन
अठावले की यह टिप्पणी इस तथ्य के संदर्भ में थी कि कुंभ मेला एक विशाल धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों लोग अपनी धार्मिक आस्था के अनुसार भाग लेते हैं। इस अवसर पर न केवल आम जनता, बल्कि प्रमुख राजनेताओं का भी भारी उत्साह रहता है। हालांकि, राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे की अनुपस्थिति ने उन्हें आलोचनाओं का सामना कराया, खासकर ऐसे समय में जब धार्मिक घटनाओं में भागीदारी को लेकर नेताओं की संवेदनशीलता महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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धार्मिक प्रतीकों के महत्व
रामदास अठावले के बयान ने राजनीति में धार्मिक प्रतीकों के महत्व को फिर से उकेर दिया है, और यह बयान कांग्रेस तथा शिवसेना के नेताओं के लिए एक नया विवाद खड़ा कर सकता है।
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