राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाने वाले 12 विधायकों का मामला अभी भी अधर में लटका हुआ है, वहीं 12 भारतीय जनता पार्टी के विधायकों का विवाद भी अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के दरबार में पहुंच गया है।
राज्य का दो दिवसीय मानसून सत्र 5 जुलाई से शुरू हो गया है और भाजपा के 12 विधायकों को कथित रुप से तालिका अध्यक्ष के साथ दुर्व्यवहार के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। इससे भाजपा नेताओं में काफी नाराजगी है। इस मामले को लेकर सभी निलंबित विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने ठाकरे सरकार की शिकायत की है।
12 के बदले 12
ओबीसी आरक्षण प्रस्ताव पर चर्चा के समय भाजपा विधायकों पर सदन में हंगामा करने का आरोप है। विधान सभा में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर तालिका अध्यक्ष से विपक्ष के 12 विधायकों द्वारा किए गए कथित दुर्व्यवहार के संदर्भ में बड़ी कार्रवाई हुई है। इस संबंध में संसदीय कार्यमंत्री अनिल परब ने इन विधायकों को एक वर्ष के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सरकार ने बहुमत से मान्य कर लिया। हालांकि इनके निलंबन के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर बहस शुरू हो गई कि क्या ठाकरे सरकार ने 12 विधायकों को निलंबित कर बदला लिया है?
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भाजपा को आपत्ति
भाजपा के इन 12 विधायकों के निलंबन से सदन में विपक्ष की ताकत कम हो गई है। इसलिए इसे उसके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। बता दें कि जब संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने 12 भाजपा विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा, तब विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने उसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायकों ने उनका अपमान नहीं किया। फडणवीस ने यह भी कहा कि फैसला एकतरफा था और विपक्ष को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।
इन भाजपा विधायकों ने की राज्यपाल से मुलाकात
निलंबित भाजपा विधायकों ने राजभवन जाकर राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से लिखित शिकायत की। राज्यपाल से मिलने वाले विधायकों में गिरीश महाजन, आशीष शेलार, संजय कुटे, अतुल भातखलकर के साथ ही अन्य निलंबित विधायक भी शामिल थे। इनका आरोप है कि इन पर झूठे आरोप लगाकर इन्हें निलंबित कर दिया गया।