महाराष्ट्रः संकट में सरकार? बगावत के मूड में कांग्रेस के 25 विधायक

महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी तीन पहिए की सरकार है। शिवसेना के नेतृत्व में चल रही इस सरकार में बीच-बीच में मतभेद सामने आते रहते हैं।

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हाल ही में हुए पांच विधानसभा चुनावों में पंजाब में सत्ता गंवाने और अन्य चार राज्यों में शर्मनाक हार के बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती ही दिख रही हैं। नए घटनाक्रम में महाराष्ट्र में पार्टी में बगाबत के साथ ही तीन पार्टियों की महाविकास आघाड़ी सरकार पर भी संकट के बादल मंडराते हुए दिख रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र कांग्रेस में ऑल इज नोट बेल दिख रहा है। पार्टी के 25 विधायक बगावत के मूड में नजर आ रहे हैं। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के लिए समय मांगा है। इनके इस तरह के तेवर को देखते हुए प्रदेश की ठाकरे सरकार संकट मे आती दिख रही है।

तीन पहिए की सरकार
महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी तीन पहिए की सरकार है। इसमें शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस शामिल हैं। शिवसेना के नेतृत्व में चल रही इस सरकार में बीच-बीच में मतभेद सामने आते रहते हैं।

सोनिया गांधी को लिखा पत्र
सोनिया गांधी को लिखे पत्र में विधायकों ने आरोप लगाया है कि सरकार में उनकी कोई बात नहीं सुनी जाती। यहां तक कि पार्टी के मंत्री भी उनकी कोई शिकायत नहीं सुनते। उनका कहना है कि अगर उनके क्षेत्र की समस्याओं को मंत्री सुनेंगे और उन्हें दूर नहीं करेंगे तो पार्टी के भविष्य पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

विधायकों की शिकायत गंभीर
पार्टी में समन्वय की कमी की शिकायत करते हुए विधायकों का कहना है कि पिछले सप्ताह पता चला कि प्रत्येक मंत्री के जिम्मे तीन विधायक दिए गए हैं। हमें इसके बारे में पता ही नहीं था। ढाई साल बीत जाने के बाद इस बारे में हमें तब जानकारी मिली, जब एचके पाटील ने हाल ही में बैठक की। राज्य में गठबंधन सरकार बनने के कुछ ही महीनों बाद यह तय किया गया था। लेकिन इस बारे में हमें अब पता चला है।

पंजाब जैसा हो सकता है हाल
सोनिया गांधी को लिखे पत्र में बताया गया है कि शिवसेना और राकांपा के मंत्री अपने विधायकों और नेताओं की बात पर पूरा ध्यान देते हैं। वे उनकी समस्याओं को दूर करते हैं। क्षेत्र में काम के लिए धन की भी व्यवस्था करते हैं। लेकिन हमारी बात न तो सरकार में बैठे अन्य मंत्री सुनते हैं और न कांग्रेस कोटे से मंत्री बने नेता सुनते हैं। विधायकों के कहना है कि अगर यही हाल रहा तो यहां भी पंजाब जैसा परिणाम आ सकता है।

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