शिवसेना संग्राम: विधायक अजय चौधरी और प्रभु पर हो गया निर्णय

शिवसेना और उससे अलग हुए गुट के बीच अब संवैधानिक स्तर पर लड़ाई शुरू हो गई है। एक ओर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में पक्ष है तो दूसरी ओर बहुसंख्य विधायकों का गुट जो अपने आपको मूल शिवसेना बता रहे हैं।

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एकनाथ शिंदे को विधान सभा से झटका लगा है। शिवसेना गट नेता पद पर एकनाथ शिंदे को हटाकर अजय चौधरी की नियुक्ति और प्रतोद के पद पर शिवसेना की ओर से सुनील प्रभु की नियुक्ति को उपाध्यक्ष ने मान्यता दे दी है।

ठाकरे परिवार की शिवसेना और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच द्वंद बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सदन का नेता मानते हुए विधान सभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवल ने बड़ा निर्णय दिया है, जो एकनाथ शिंदे के झटका है। उपाध्यक्ष ने शिवसेना गटनेता के पद पर ठाकरे समर्थक शिवसेना द्वारा की गई विधायक अजय चौधरी की नियुक्ति और प्रतोद के पद पर सुनील प्रभु की नियुक्ति को वैध करार दिया है।

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एकनाथ शिंदे ने प्रतोद के पद पर भरत गोगावले को नियुक्त किया था। इस संबंध में पत्र विधान सभा उपाध्यक्ष के पास प्रेषित किया था। एकनाथ शिंदे का पत्र मिलने के बाद विधान सभा उपाध्यक्ष ने एक फेसबुक लाइव भी किया था। जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि, मुख्यमंत्री अभी भी उद्धव ठाकरे हैं। इसलिए उद्धव ठाकरे ही सदन के नेता हैं और उनकी बातों को प्रतामिकता देनी होगी।

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