उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट को डबल झटका, प्रभु और चौधरी की नियुक्ति अवैध

महाराष्ट्र में राजनीतिक बदलाव की बयार विशेष सत्र के पहले दिन ऐसी बही कि शिवसेना को दिन में दोहरा झटका लगा। इसके साथी ही शिवसेना के दोनों गुटों के बीच संग्राम अधिक गतिशील होने का अनुमान है।

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रविवार के दिन उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट को डबल झटका लगा है। दिन का प्रारंभ विधान सभा अध्यक्ष पद पर युति सरकार के उम्मीदवार राहुल नार्वेकर की विजय के रूप में हुआ। इसके बाद शाम ढलते ढलते विधान सभा के सचिवालय से आए पत्र ने रही सही कसर पूरी कर दी। जिसमें शिवसेना के मुख्य प्रतोद सुनील प्रभु और गट नेता पद पर अजय चौधरी की नियुक्ति को अमान्य कर दिया गया।

विधान सभा सचिवालय से इस संदर्भ में पत्र मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को दिया गया है। एकनाथ शिंदे शिवसेना के गट नेता हुआ करते थे। जब वे शिवसेना से असंतुष्ट होकर विधायकों की बड़ी संख्या लेकर सूरत और वहां से गुवाहाटी चले गए तो मुंबई में शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के आदेश से एकनाथ शिंदे को गुट नेता पद से हटाते हुए उनके स्थान पर विधायक अजय चौधरी की नियुक्ति कर दी। इस कार्रवाई के बाद एकनाथ शिंदे गुट ने सुनील प्रभु को मुख्य प्रतोद पद से हटाते हुए भरतशेठ गोगावले को मुख्य प्रतोद नियुक्त किया था। मुख्य प्रतोद के पद पर सुनील प्रभु की नियुक्ति को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट ने चुनौती दी थी, जिस पर विधान सभा अध्यक्ष ने निर्णय से लिया।

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विधान सभा में सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार को विश्वास मत प्राप्त करना है। विधान सभा अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ भले ही भाजपा शिवसेना की युति ने अपना बहुमत बता दिया है, परंतु औपरचारिक रूप से यह सोमवार को सिद्ध करना होगा। इसके पहले विधान सभा अध्यक्ष पद पर युति के उम्मीदवार राहुल नार्वेकर की विजय ने सरकार के लिए एक मार्ग आसान कर दिया है। जिसका प्रारंभ शिवसेना गुट नेता और मुख्य प्रतोद की नियुक्तियों पर निर्णय के रूप में सरकार को प्राप्त हो चुका है।

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