शिवेसनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे को युति का रिमोट कंट्रोल कहा जाता था। वर्ष 1995 की युति सरकार के पश्चात फिर एक बार रिमोट कंट्रोल वाली युति सरकार बन रही है। अंतर यह है कि, उस समय रिमोट कंट्रोल शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के पास था और वर्तमान सरकार में रिमोट कंट्रोल भाजपा और देवेंद्र फडणवीस के हाथ हो सकता है।
29 जून, 2022 की रात मुख्यमंत्री पद से शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के त्यागपत्र के पश्चात, जब भारतीय जनता पार्टी के विधायक खुशियां मना रहे थे और देवेंद्र फडणवीस को मिठाई खिला रहे थे, उस समय किसी को आभास भी नहीं था कि, गुरुवार की दोपहर कौन सा उलटफेर होना है। राज्य की जनता अपेक्षा लगाए थे कि, एकनाथ शिंदे गोवा से आएंगे और देवेंद्र फडणवीस के साथ राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत करेंगे, हुआ भी यही। सरकार बनाने की दावा प्रस्तुत किया गया। राज्यपाल से मिलकर बाहर निकले भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे ने प्रेस वार्ता की।
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देवेंद्र का वज्रपात
इंद्र के वज्र का कोई काट नहीं था, महाराष्ट्र की राजनीति में देवेंद्र फडणवीस द्वारा मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ फडणवीस के नाम की घोषणा विपक्ष के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं था। कल तक जो बोल रहे थे कि भाजपा अपनी पिछ लग्गू बनाकर रखेगी, उनके सामने ही भाजपा का ऐसा बड़ा दिल उन लोगों के लिए दिल के दौरे से कम नहीं।
हारकर भी जीत गए
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में राज्य सरकार का गठन सबसे अधिक विधायकों वाली भाजपा के लिए एक कदम पीछे लेकर अनगिनत कदम आगे रखने की कोशिश हो सकती है। भाजपा के इस निर्णय से सामान्य शिवसैनिकों में प्रसन्नता है। सूत्रों की मानें तो आगामी दिनों में जमीनीस्तर की शिवसेना में असंतोष उत्पन्न हो सकता है और वह शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब के कट्टर शिवसैनिक मुख्यमंत्री के साथ जा सकती है। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी सत्ता का रिमोट कंट्रोल लेकर इस पूरी प्रक्रिया का आनंद लेती रहेगी।