महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 22 दिसंबर से शुरू हो गया है। यह सत्र काफी हंगामेदार होने का अंदेशा है। सत्र के पहले दिन ही इसकी झांकी मिल गई है।
सत्र के दूसरे दिन 23 दिसंंबर को विधानसभा में अबू आजमी और अमीन पटेल ने सरकार से मुस्लिम आरक्षण देने की मांग की। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव था, जिसे मंजूर भी कर लिया गया था। इसलिए अब सरकार को मुसलमानों को आरक्षण देना चाहिए।
नवाब मलिक ने रखा सरकार का पक्ष
सरकार की ओर से नवाब मलिक ने इस मांग का जवाब दिया। अल्पसंख्यक मंत्री मलिक ने विधानसभा में बताया कि मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय को 5 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए एक अध्यादेश पारित किया गया था। लेकिन मामला फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में है। केंद्र को राज्यों को अधिकार देना चाहिए और आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना चाहिए। साथ ही केंद्र को संविधान में संशोधन करना चाहिए, ताकि मराठा आरक्षण और मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे को हल किया जा सके।
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धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध
आरक्षण के मुद्दे पर नवाब मलिक के स्पष्ट रुख के बाद, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें धन्यवाद दिया और कहा, “यह स्पष्ट करने के लिए धन्यवाद कि आप मुस्लिम आरक्षण नहीं दे सकते। हम इस बात पर कायम हैं कि धर्म के नाम पर किसी को आरक्षण नहीं दिया जा सकता। साथ ही, मैं नवाब मलिक को यह स्पष्ट कहना चाहूंगा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि केंद्र को दोष देने से समस्या का समाधान नहीं होगा। केंद्र आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं कर सकती। हम धर्म के आधार पर आरक्षण के पहले भी खिलाफ थे और आगे भी रहेंगे।”