महाराष्ट्र: इसलिए लॉकडाउन नहीं कड़े प्रतंबिध! मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे

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मुख्यमंत्री ने एक महीने बाद एक बाद फिर सोशियल मीडिया के माध्यम से जनसंवाद किया। उन्होंने राज्य में कोविड 19 संक्रमितों की संख्या कम न होने का उल्लेख करते हुए, कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। हालांकि, 15 जून 2021 तक राज्य में प्रतिबंध बढ़ाने की जानकारी पहले ही सरकार के माध्यम से आ गई है।

अपने जनसंवाद में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बताया कि हम लॉकडाउन नहीं लगा रहे बल्कि प्रतंबिध लगा रहे हैं। कोरोना की तीसरी लहर सूचना देकर नहीं आएगी। राज्य में म्यूकरमायकोसिस के तीन हजार रोगी हैं। कोरोना संक्रमितों में शक्कर का प्रमाण बढ़ जाता है, यह हम डॉक्टरों को भी सूचित कर रहे हैं। हमने ‘माझा डॉक्टर’ की संकल्पना को मूर्त रूप दिया है।

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शिक्षा चलती रहे इसके लिए ठोस निर्णय की आवश्यकता
12वीं की परीक्षा के विषय में विचार चल रहा है। शिक्षा शुरू रहना चाहिए, इसको लेकर जल्द ही कोई ठोस निर्णय लेंगे। केंद्र सरकार को भी इस विषय में निर्णय लेना चाहिए। तीसरी लहर बच्चों में हो सकती है, उनमें रोग प्रतिकारक शक्ति अधिक होती है। लेकिन हमसे बच्चों में संसर्ग न फैले इसका ध्यान रखना होगा।

सबकुछ हो शुरू
मैं उद्योगपतियों से भी बात करुंगा, हमें सबकुछ धीरे-धीरे शुरू करना होगा। हमें कोविड 19 को मात देना है। मैं कोरोना मुक्त गांव करुंगा यह निश्चित करना चाहिए। जब दो सरपंच कोरोना मुक्त गांव कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं? ऐसा निर्णय सभी सरपंचों को करना चाहिए।

प्रतिबंध हटेगा पर धीरे-धीरे
राज्य में कोरोना संसर्ग के नियंत्रण के लिए लगाया गया लॉकडाउन धीरे-धीरे हटाना होगा। तीसरी लहर न आए इसके लिए प्रयत्न करना चाहिये। यदि सभी ने निश्चय कर लिया तो यह संभव है।

गांव कोरोना मुक्त करें
हिवरे बाजार गांव ने जो प्रयत्न किया वह कुछ अन्य गांव भी कर रहे हैं। हम उनकी प्रशंसा करते हैं। पोपटराव पवार, ऋतुराज देशमुख, कोमला ताई जैसे कई सरपंच हैं जिन्होंने उदाहरण प्रस्तुत किया है। मैंने उनसे बात की, कोविड 19 के उपचार में जितना उपचार का महत्व है, उतना ही महत्व जनजागृति और जन सहभागिता की भी है। हिवरे बाजार गांव जैसा ही अनुशासन का पालन करते हैं तो गांवों को कोरोना शून्य कर सकते हैं। इस आदर्श को सभी लोगों को अपने सामने रखकर व्यवस्था करनी चाहिए।

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पहला राज्य जिसके पास डॉक्टरों का टास्क फोर्स
कोविड 19 का सीधा कोई उपचार न होने और उसके बदलते रूप से स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चुनौती खड़ी हो गई है। टीका आ गया है और टीके की दूसरे डोज को देने में समय लगेगा। तीसरी लहर का प्रकोप सबसे अधिक बच्चों पर पड़ेगा, इसके लिए डॉक्टरों से नियमित रूप से संवाद स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है।

महाराष्ट्र पहला राज्य है देश में जिसके पास विशेषज्ञ डॉक्टरों का टास्क फोर्स है। सभी जिले में स्थानीय विशेषज्ञों का टास्क फोर्स गठित किया है। छोटे बच्चों के लिए बाल रोग विशेषज्ञों का भी टास्क फोर्स गठित किया है। दोनों ही टास्क फोर्स में नियमित संवाद हो रहा है।

निजी डॉक्टरों की सहभागिता
निजी डॉक्टरों की सहभागिता से ऑनलाइन स्वास्थ्य परिषदों का आयोजन किया जा रहा है। उपचार पद्धति में एकसूत्रता होनी चाहिए। इसके पीछे उद्देश्य है कि, विषाणु का रूप निरंतर बदल रहा है, ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टरों का नियमित मार्गदर्शन मिले इसके लिए ऑनलाइन परिषदों का आयोजन किया जा रहा है।

राज्य के 45 हजार डॉक्टरों से संवाद

  • राज्य में कुल 45 हजार डॉक्टरों और 50 हजार जनसामान्य लोगों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित हुआ है।
  • मुंबई के एक हजार फैमिली डॉक्टर, जनरल फिजीशियन से संवाद
  • राज्य के 17 हजार फैमिली डॉक्टर और फैमिली फिजीशियन से जनसंवाद
  • 6 हजार बाल रोग विशषज्ञों से संवाद हुआ
  • महाराष्ट्र वैद्यक परिषद के माध्यम से 21 हजार 500 डॉक्टरों की परिषद का गठन

 

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