मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जन संवाद किया। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर निराशा जताई, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यह लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि इस विषय में निर्णय का अधिकार हमारे पास नहीं है। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से हाथ जोड़कर फेसबुक लाइव के माध्यम से मांग की है कि संविधान में संशोधन करके इस अधिकार को दिया जाए।
सर्वोच्च न्यायालय ने जो निर्णय दिया है वह निराशाजनक है। लेकिन अभी भी मराठा आरक्षण की लड़ाई समाप्त नहीं हुई है। इसका मार्ग निकाला जाएगा। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर जिन वकीलों ने उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखा था उन्हीं ने सर्वोच्च न्यायालय में भी पक्ष रखा। लेकिन उसके बाद भी ये निर्णय आया है।
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संयमित है मराठा समाज
सर्वोच्च न्यायालय के निराशाजनक निर्णय के बाद भी मराठा समाज संयमित है। समाज ने कहीं भी हायतौबा नहीं मचाया। सरकार आपके लिए लड़ रही है। अभी यह लड़ाई समाप्त नहीं हुई है। गायकवाड कमीशन की शिफारिशों के भी न्यायालय ने बगल में रख दिया। इस विषय में अशोक चव्हाण ने अच्छी तैयारी की थी।
केंद्र के पाले में गेद
मुख्यमंत्री ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब केंद्र सरकार के पाले में गेंद डाल दिया है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में मिली नाकामी के बाद भी अपने सरकार की पीठ थपथपाते हुए अब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से अपील की है कि वे मराठा आरक्षण को कानूनी रूप से दें। सीएम ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि यह आपके अधिकार में नहीं आता है। यह अधिकार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और राष्ट्रपति से हाथ जोड़कर अनुरोध है कि जो शक्ति उह्नोंने अनुच्छेद 370 को समाप्त करने में दिखाई है वही शक्ति एक बार फिर मराठा आरक्षण में दिखाएं। इस विषय में पत्र भी दूंगा।
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