कोंकण में 21 और 22 जुलाई को हुई मूसलाधार बारिश ने खेड़, महाड और चिपलून में बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी। इस कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इस तबाही में बहुतों की दुनिया तबाह हो गई तो हजारों लोग बेघर हो गए।
मूसलाधार बारिश के कारण पैदा हुए महासंकट के कारण इन दिनों कई नेता कोंकण में हैं और वे विभिन्न माध्यमों से प्रभावितों की मदद कर रहे हैं। बाढ़ का पानी भले ही कम हो गया है, लेकिन संकट अभी भी बरकरार है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ ही राज्य के कई नेताओं और मंत्रियों ने भी स्थिति का जायजा लेने के लिए कोंकण का दौरा किया। वहां के लोगों ने सोचा होगा कि इस संकट के दौर में कोंकण के नेता कहां थे? क्या वे अपने घर में थे?
नहीं दिखे सुरेश प्रभु
सुरेश प्रभु कोंकण में एक बड़ा नाम है। उन्हें मोदी सरकार ने रेल मंत्री बनाया था। रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले सुरेश प्रभु निर्वाचन क्षेत्र में बहुत सक्रिय नहीं हैं। कोंकण में बाढ़ की स्थिति के बावजूद सुरेश प्रभु कहीं नहीं दिखे। जहां राज्य के अन्य भाजपा नेता कोंकण में थे, वहीं कोंकण के सुरेश प्रभु गायब थे। महासंकट के बावजूद कोंकणी लोगों को ‘प्रभु’ के दर्शन नहीं हुए।
अनंत गीते रहे गायब
शिवसेना के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत गीते भी पिछले चार दिनों से कहीं नहीं दिखे। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुनील तटकरे ने अनंत गीते को हराया था। उसके बाद उनकी राजनीति में सक्रियता काफी कम हो गई। हार के बाद से इस क्षेत्र से मुंह मोड़ चुके अनंत गीते ने बाढ़ के दौरान भी कोंकण की तरफ देखने की जहमत नहीं उठाई। सबसे खास बात यह है कि जब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे निरीक्षण दौरे पर थे, तब भी वे नहीं दिखे।
कहां थे रवींद्र वायकर?
सवाल यह भी है कि क्या देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में रत्नागिरी जिले के पालक मंत्री रहे रवींद्र वायकर भी कोंकण को भूल गए? एक तरफ जहां भाजपा और शिवसेना नेता कोंकण का दौरा कर रहे थे, वहीं रवींद्र वायकर ने कोंकण में जाकर लोगों की मदद करने की जरुरत नहीं समझी। वे इस तबाही के समय भी मुंबई में रहे।