Maharashtra: सहयोगी दलों में बढ़ा मतभेद, महानगरपालिका चुनाव को लेकर आघाड़ी में बिगाड़ी?

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दलों में दूरी बढ़ी है। महाविकास आघाड़ी की सहयोगी पार्टी समाजवादी पार्टी आघाड़ी से पहले ही अलग हो गई है।

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Maharashtra: महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दलों के बीच महाराष्ट्र में महानगरपालिका चुनावों में साथ लड़ने को लेकर मतभेद बढ़ गया है। शिवसेना यूबीटी के बाद शरद पवार की राकांपा ने भी मुंबई मनपा चुनाव स्वबल पर लड़ने का संकेत दिया है।

राकांपा एसपी की बैठक में निर्णय
मुंबई में राकांपा एसपी के आला नेताओं की मुंबई महानगरपालिका चुनाव की तैयारी को लेकर 30 दिसंबर को बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में राकांपा एसपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील, सांसद सुप्रिया सुले, सांसद अमोल कोल्हे सहित पदाधिकारी उपस्थित थे। इस बैठक में जयंत पाटील ने कहा कि उनका पहला प्रयास रहेगा कि हम महाविकास आघाड़ी के रुप में नगर निगम चुनाव लड़ें लेकिन अगर स्थिति नहीं बनी तो हम स्वबल पर चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए कार्यकर्ताओं को अभी से तैयार रहना है।

शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता ने किया स्पष्ट
इसके बाद शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता आनंद दूबे ने कहा कि नगर निगम चुनाव उनकी पार्टी स्वबल पर ही लड़ेगी। इस संबंध में पार्टी अपना रुख साफ कर चुकी है। आनंद दूबे ने कहा कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक ही महाविकास आघाड़ी सीमित है, स्थानीय निकाय चुनाव में सबको अलग-अलग लड़ना चाहिए, जिससे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को न्याय मिल सके।

कांग्रेस भी तैयार
कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने इस मुद्दे पर कहा था कि उनका प्रयास रहेगा कि स्थानीय स्तर पर भी हम महाविकास आघाड़ी के रुप में चुनाव लड़ें। लेकिन अगर शिवसेना अलग लड़नाक चाहती है तो फिर हम भी इसके लिए तैयार हैं।

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आघाड़ी के सहयोगी दलों में दूरी बढ़ी
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद महाविकास आघाड़ी के सहयोगी दलों में दूरी बढ़ी है। महाविकास आघाड़ी की सहयोगी पार्टी समाजवादी पार्टी आघाड़ी से अलग हो गई है, जबकि शिवसेना नेता भी अब महाविकास आघाड़ी से हटकर अपनी भूमिका तय करने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के एक नेता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि महाविकास आघाड़ी में लडऩे की वजह से विधानसभा चुनाव में उनकी सीटें घट गई हैं। अगर हम अलग होकर चुनाव लड़ें तो हमें किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा, इसलिए कांग्रेस पार्टी को महाविकास आघाड़ी की बजाय स्वबल पर ही चुनाव लड़ना चाहिए।

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