राज्य में जहां शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है, वहीं अब शिवसेना को एक और झटका लगने के संकेत मिल रहे हैं। वजह यह है कि शिवसेना नेता और परिवहन मंत्री अनिल परब को ईडी द्वारा नोटिस भेजे जाने की जानकारी मिली है। इस बात की जानकारी खुद शिवसेना सांसद संजय राउत ने दी है। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी के बाद अनिल परब का एक वीडियो वायरल हो गया। उसके बाद अनिल परब भाजपा के रडार पर थे।
यह है संजय राउत का ट्वीट
‘शाबाश! जैसी कि उम्मीद थी, जन आशीर्वाद यात्रा के समापन पर अनिल परब को ईडी द्वारा नोटिस जारी किया गया है। केंद्र सरकार काम मे लग गई है। भूकंप का केंद्र रत्नागिरी में है। परब रत्नागिरी के पालक मंत्री हैं। कृपया घटनाक्रम को समझें। कानूनी लड़ाई कानून से लड़ी जाएगी। जय महाराष्ट्र!’
शाब्बास!
जन आशीर्वाद जत्रेची सांगता होताच अपेक्षे प्रमाणे अनिल परब यांना ई.डी.ची नोटीस बजावण्यात आली . वरचे सरकार कामाला लागले. भुकंपाचा केंद्रबिंदू रत्नागिरीत होता. परब हे रत्नागिरीचे पालक मंत्री आहेत.
chronology कृपया समज लिजीये.
कायदेशीर लढाई कायदयानेच लढू..जय महाराष्ट्र— Sanjay Raut (@rautsanjay61) August 29, 2021
भाजपा ने की थी मांग
अनिल परब पहले से ही भाजपा के रडार पर हैं। हाल ही में पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार और परिवहन मंत्री अनिल परब दोनों की कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये वसूली मामले में सीबीआई जांच की मांग की गई थी। साथ ही जुलाई में भाजपा नेता किरीट सोमैया ने आरोप लगाया था कि परिवहन मंत्री अनिल परब ने म्हाडा की खाली जमीन पर कब्जा कर लिया है और अवैध रूप से 2,000 वर्ग फुट का निर्माण किया है।
ED has summoned Anil Parab on Tuesday. He has to give HISAB accounts for ₹100 crore VASOOLI of Sachin Vaze. Collection from BMC Contractors, RTO transfers, ST Tickets Ghotala, illegal Dapoli Resort .
Anil Deshmukh, Anil Parab, MP Bhavna Gavli, Jitendra Awhad…..list goes on pic.twitter.com/AAgAkD1mlS
— Kirit Somaiya (@KiritSomaiya) August 29, 2021
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कौन हैं अनिल परब?
महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब पिछले 20 साल से शिवसेना में हैं। उनका राजनीतिक सफर शिवसेना के विभागाध्यक्ष से लेकर परिवहन मंत्री तक का रहा है। परब के काम को देखते हुए शिवसेना ने उन्हें तीन बार विधान परिषद में बिठाया है। वे 2004-2010, 2012-2018 और जुलाई 2018 में विधान परिषद के लिए फिर से चुने गए। 2017 में वे चर्चा में आए। 2017 के महानगरपालिका चुनाव में शिवसेना-भाजपा का गठबंधन टूट गया। इसलिए दोनों पार्टियों ने अपने दम पर यह चुनाव लड़ा। उस समय परब ने भाजपा के हर हमले का करारा जवाब दिया। इस वजह से वे शिवसेना के कार्याध्यक्ष उद्धव ठाकर के खास बनते चले गए।