महाराष्ट्र में दो दिवसीय मानसून सत्र के दौरान 12 भाजपा विधायकों के निलंबन का विवाद शांत होता नहीं दिख रहा है। इसे लेकर जहां भारतीय जनता पार्टी काफी आक्रामक है, वहीं प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार भी उनके लिए समस्याएं खड़ी करने से बाज नहीं आ रही है।
ताजा मामला यह है कि सरकार ने निलंबित भाजपा विधायकों का वेतन और भत्ता रोकने का निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय के बाद इस मुद्दे पर विवाद और बढ़ने के आसार हैं।
साल भर तक नहीं मिलेगा वेतन
विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान तालिका अध्यक्ष भास्कर जाधव के साथ धक्कामुक्की करने के मामले में निलंबित भाजपा के 12 विधायकों के वेतन रोकने का निर्णय उपाध्यक्ष नरहरी झिरवल ने लिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वेतन के साथ ही उनके भत्ते भी रोकने का फैसला किया गया है।
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इतना मिलता है विधायकों को वेतन भत्ता
2 लाख 40 हजार 973 रुपये प्रति विधायक प्रतिमाह वेतन, सत्र के दौरान सदन में उपस्थित होने पर प्रतिदिन 2,000 रुपये का भत्ता और विभिन्न समितियों की बैठक में उपस्थित होने पर दो हजार का अतिरिक्त भत्ता दिया जाता है। अब निलंबित विधायकों के एक साल के वेतन और भत्ते रोकने का निर्णय लेने की जानकारी मिली है।
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क्या है विवाद?
विधानमंडल के मानसून सत्र के पहले दिन ओबीसी आरक्षण का मुद्दा गरमा गया था। इस दौरान विपक्ष के विधायकों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया था। विपक्ष के बढ़ते हंगामे के चलते तलिका अध्यक्ष भास्कर जाधव ने सदन को स्थगित कर दिया था। इस बीच भाजपा के कुछ विधायक तालिका अध्यक्ष के कार्यालय में जाकर कथित रुप से उनसे अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के साथ ही उनसे धक्कामुक्की भी की थी। तालिका अध्यक्ष भास्कर जाधव ने इस घटना की जानकारी सदन में दी थी। उसके बाद भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया था।