महाराष्ट्र सरकार के अतिथिगृह में मंत्रियों की बैठक के दौरान एक बड़ी दुर्घटना हो गई। इससे मंत्रियों में अफरातफरी का वातावरण फैल गया। इस बैठक में पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे भी उपस्थित थे। वे इस दुर्घटना में बाल-बाल बच गए।
अतिथिगृह के फाउंटन के ऊपर का फॉल सीलिंग अचानक भरभराकर गिर पड़ा। उस समय मंत्रियों की बैठक चल रही थी। यह दुर्घटना हॉल नंबर 4 के बाहर की है। इससे प्रशासन में भी हड़कंप मच गया। इस दुर्घटनां में मंत्री और प्रशासन के सभी अधिकारी बच गए हैं।
इसे मराठी में पढ़ें – सह्याद्री अतिथीगृहाचा स्लॅब कोसळला… आदित्य ठाकरे थोडक्यात बचावल
अतिविशिष्ट लोगों के लिए है आरक्षित
सह्याद्री अतिथिगृह महाराष्ट्र सरकार का एक भव्य भवन है, जहां मुख्यमंत्री,
उपमुख्यमंत्री, मंत्री, राज्यमंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव स्तर के विशिष्ट जन ही बैठक, कार्यशाला, पत्रकार परिषद कर सकते हैं। इस संदर्भ में 24 जुलाई 2015 को परिपत्रक जारी करके शासनादेश है।
विवादों-आरोपों से परे शांत वातावरण में होती हैं सियासी चर्चा
सह्याद्री अतिथिगृह की एक और विशेषता है, जहां मंत्रालय और विधान सभा में नेताओं के बीच वाद-विवाद छिड़ता है वहीं यहां जो आता है इसकी भव्यता से अभिभूत होकर जाता है।
इस अतिथिगृह का ऐतिहासिक महत्व है, यहां कभी एक बंगला हुआ करता था जिसमें अखण्ड महाराष्ट्र और स्वतंत्र महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसमें मोरारजी देसाई अखण्ड महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, जबकि वाईबी चव्हाण स्वतंत्र महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री बने।
ऐतिहासिक बंगले से बना अतिथिगृह
जिस भूखंड पर सह्याद्री अतिथिगृह निर्मित हुआ है वहां दो पारसी भाइयों का बंगला हुआ करता था। लेकिन बाद में उनका कोई वारिस नहीं आया, तो यह राज्य सरकार के अधीन आ गया। शरद पवार के मुख्यमंत्रित्व काल में इसे विकसित करने की योजना बनी। इसके लिए मुख्यमंत्री शरद पवार ने 1991 में उत्कृष्ट वास्तु विशारद आईएम कादरी को जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने ही नेहरू सेंटर का डिजाइन तैयार किया था। सह्याद्री अतिथि गृह में बीस कमरे, कैबिनेट बैठक का रूम, कॉन्फ्रेन्स रूम, लेक्चर रूम, बैंक्वेट हॉल का भव्य रूप लिये अतिथिगृह का डिजाइन तैयार किया।
इसका निर्माण होते-होते वर्ष 1994 का काल आ गया और शिवसेना भाजपा युति की सत्ता राज्य में सत्ता की बागडोर संभाल रही थी। मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने इस अप्रतिम वास्तु का उद्घाटन किया। हालांकि, इसके निर्माण खर्च को लेकर कुछ विवाद जरूर खड़े हुए लेकिन उस काल में खर्च किये गए 20 करोड़ रुपए से निर्मित भव्य अतिथिगृह को देखने के बाद सभी राजनीतिक दल शांत हो गए।
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