मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 28 मई को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के वीरता पुरस्कारों की तर्ज पर अतुलनीय वीरता का प्रदर्शन करने वाले प्रदेश के वीरों को स्वातंत्र्यवीर सावरकर वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा।
कार्यक्रम में ये मंत्री-नेता रहे उपस्थित
राज्य सरकार के सांस्कृतिक विभाग की ओर से स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के सावरकर सभागार में ‘शत जन्म शोधितांना’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उस समय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर, सांसद राहुल शेवाले, विधायक सदा सरवणकर, स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष अध्यक्ष रणजीत सावरकर, सांस्कृतिक विभाग के प्रमुख सचिव विकास खड़गे आदि मौजूद थे।
स्वातंत्र्यवीर सावरकर के जीवन के वह चार पर्व
वीर सावरकर जयंती को गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय
महाराष्ट्र सरकार ने वीर सावरकर की जयंती(28 मई) के अवसर पर इस दिन को गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस क्रम में राज्य में स्कूलों में बच्चों को स्वतंत्रता सेनानियों की प्रचंड देशभक्ति और उनके बलिदान से अवगत कराने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। वीर सावरकर की मृत्यु को भले ही 57 साल हो गए हों, लेकिन आज कुछ लोग वीर सावरकर को नहीं जानते हैं। कुछ लोग जानबूझकर उनका अपमान कर रहे हैं। यद्यपि वीर सावरकर को घोर यातनाएं दी गईं, फिर भी उन्होंने अपनी देशभक्ति से कोई समझौता नहीं किया।
स्वातंत्र्यवीर सावरकर, सशस्त्र क्रांति और पराक्रम
आलोचकों को है डर
सावरकर को दो बार आजीवन कारावास की सजा हुई। अंग्रेज उनसे डरते थे। देश को स्वतंत्र हुए 75 साल हो गए हैं। साथ ही सावरकर के निधन को भले ही 57 साल बीत गए हों, लेकिन आलोचकों में उनका डर अभी भी बरकरार है। आलोचकों को डर है कि यदि वीर सावरकर के विचार लोकप्रिय हुए तो उनकी पोल खुल जाएगी और उनके लिए राजनीति करना मुश्किल हो जाएगा।