महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार और राज्यपाल के बीच अब तक कई बार विवाद हो चुका है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा राज्य में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर राज्य सरकार को लिखे गए पत्र ने अब सियासी माहौल गर्म कर दिया है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक बार फिर राज्यपाल की भूमिका की कड़ी आलोचना की गई है। सामना में लिखा गया है, जिन राज्यों में भाजपा सत्ता में नहीं है, वहां राज्यों के राज्यपाल मदमस्त हाथियों की भूमिका निभा रहे हैं और ऐसे हाथियों के महावत दिल्ली में बैठकर उन्हें नियंत्रित कर रहे हैं। उन हाथियों के द्वारा लोकतंत्र को पैरों तले रौंदा जा रहा है।
मर गई हैं इन राज्यों में राजभवन की संवेदनाएं
देश के अन्य राज्य भी कानून-व्यवस्था की समस्या से जूझ रहे हैं। लेकिन जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है, वहां के राज्यपाल खामोश हैं। उत्तर प्रदेश में एक महंत की संदिग्ध मौत हो जाती है, जबकि मध्य प्रदेश में एक नाबालिग लड़की के साथ रेप होता है। यह अच्छी कानून व्यवस्था का संकेत नहीं है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के राज्यपालों को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तरह राज्य में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, कानून और व्यवस्था के बारे में ऐसा नहीं महसूस होता।
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दिल्ली में महावत
राज्यपाल सरकारी पैसे पर पल रहे सफेद हाथी तो नहीं हैं। देश में जिन राज्यों में सत्ताधारी दलों की सरकार नहीं है, वहां के राज्यपाल मदमस्त हाथियों की भूमिका निभा रहे हैं। दिल्ली में बैठे महावत ऐसे हाथियों को नियंत्रित कर रहे हैं। लेख में आरोप लगाया गया है कि उन हाथियों के पैरों तले लोकतंत्र, कानून- व्यवस्था और राजनीतिक संस्कृति को रौंदा जा रहा है।