महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद एक बार फिर गरमाने की संभावना है। कर्नाटक विधानसभा ने 20 दिसंबर को अपना रुख दोहराया कि वह महाराष्ट्र को एक इंच भी जमीन नहीं देगी। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि इस संबंध में विधानमंडल में एक प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इन दिनों कर्नाटक का शीतकालीन सत्र भी चल रहा है। कर्नाटक विधानसभा में 20 दिसंबर को सीमा मुद्दे पर चर्चा हुई। चर्चा का जवाब देते हुए, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि सीमा मुद्दे पर प्रस्ताव दोनों सदनों में पारित किया जाएगा।
बोम्मई ने कहा कि सीमा का सवाल खत्म हो गया है। महाराष्ट्र को एक इंच भी जमीन नहीं दी जाएगी, इस आशय के संकल्प पहले विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित हो चुके हैं। बोम्मई ने कहा कि इस स्थिति पर एक प्रस्ताव फिर से पेश किया जाएगा। विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने भी उनके रुख का समर्थन किया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने एक बार फिर महाराष्ट्र को चेतावनी दी है।
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद है क्या?
दो राज्यों के बीच सीमा विभाजन भाषा के आधार पर किया गया है। बेलगाम जिला पूरे विवाद का केंद्र है। महाराष्ट्र का दावा है कि यह मराठी-बहुल क्षेत्र 1960 के दशक में राज्यों के भाषा-आधारित पुनर्गठन के दौरान गलती से कर्नाटक को दे दिया गया था। महाराष्ट्र की मांग है कि सीमा पर बसे 865 गांवों को महाराष्ट्र में मिला दिया जाए। साथ ही स्थानीय मराठी भाषियों द्वारा भी ऐसी ही मांग की जा रही है। जबकि 260 गांवों में कन्नड़ भाषी आबादी है। इसलिए कर्नाटक मांग कर रहा है कि उन गांवों को कर्नाटक में विलय कर दिया जाना चाहिए।