महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार को सत्ता में आए डेढ़ साल से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन इनमें मतभेद और मनभेद थमने का नाम नहीं ले रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार में शामिल तीनों दल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना एक दूसरे के नेता-कार्यकर्तओं को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। इस कारण इनके बीच विवाद काफी बढ़ता हुआ दिख रहा है। कहा जा सकता है कि तीनों में एक दूसरे से ताकतवर बनने की होड़ लगी हुई है। इस कारण इनके बीच झगड़ा समाप्त होने के बजाय बढ़ता जा रहा है। तीनों पार्टियों के सरकार में शामिल होने से इनके लिए इस तरह के झगड़े सिर दर्द साबित हो रहे हैं। इसलिए अब तीनों ने इस तरह के झगड़ों से बचने तथा निपटने के लिए संयुक्त समन्वय समिति गठन करने का निर्णय लिया है।
इन तीनों पर होगी जिम्मेदारी
सरकार में शामिल तीनों पार्टियों के झगड़ों को निपटाने के लिए गठित की जाने वाली समिति में शिवसेना के सुभाष देसाई, कांग्रेस के नाना पटोले और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जयंत पाटील शामिल होंगे। यह समिति जयंत पाटील की अध्यक्षता में काम करेगी। समिति के गठन के बाद किसी भी नेता को एक से दूसरी पार्टी में प्रवेश देने से पहले समिति की अनुमति लेनी होगी।
जोरों पर नेता-कार्यकर्ता तोड़ो कार्यक्रम
कोरोना के कारण फिलहाल कई स्थानीय निकायों के चुनावों को रोक दिया गया है। इस स्थिति में वे दूसरी पार्टी के नेताओं को प्रवेश देने के कार्यक्रम में जोरशोर से जुटी हैं। इस कारण इन पार्टियों के रिश्तों में कड़वाहट बढ़ती जा रही है। इसका असर महाविकास आघाड़ी सरकार के कामकाज पर पड़ रहा है। इस तरह के असंतोष और तनाव को दूर करने के लिए ही तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने का निर्णय लिया गया है।
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सरनाइक का लेटर बम
सबसे खास बात यह है कि शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक ने हाल ही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर कांग्रेस-राकांपा पर गंभीर आरोप लगाए थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि राकांपा अन्य पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बजाय शिवसेना नेताओं और कार्यकर्ताओं पर ही डोरे डाल रही है। प्रताप सरनाइक ने यह भी आरोप लगाया था कि कुछ मंत्री और महाविकास आघाड़ी के वरिष्ठ अधिकारी केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के साथ गुप्त रुप से मिले हुए हैं ताकि वे केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर आने से बच सकें।