विधान परिषद चुनाव में महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार को जोर का झटका लगा है। 14 दिसंबर को आए परिणामों में नागपुर के साथ ही अकोला में भी उसकी करारी हार हुई है। मतदान 10 दिसंबर को कराए गए थे।
नागपुर विधानसभा परिषद में भाजपा उम्मीदवार और राज्य के पूर्व ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने जीत हासिल की है, जबकि अकोला से भाजपा के ही वसंत खंडेलवाल जीते हैं।
राज्य में सत्ता में होने के बावजूद, महाविकास आघाड़ी की इन दो महत्वपूर्ण स्थानों पर हार और भाजपा की जीत को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इस जीत से जहां प्रदेश के भाजपा नेता उत्साहित हैं, वहीं महाविकास आघाड़ी में निराशा है। विधान परिषद की 6 में से 4 सीटों पर निर्विरोध चुनाव हुए हैं। हालांकि, नागपुर और अकोला निर्वाचन क्षेत्रों पर सहमति न बनने के कारण चुनाव हुए। इन दोनों ही स्थानोंं पर महाविकास आघाड़ी को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
नागपुर में बावनकुले को 362 वोट मिले
चुनाव अधिकारियों ने बताया कि मतगणना प्रक्रिया के दौरान नागपुर में कुल 549 मतों को वैध घोषित किया गया। यहां जीतने के लिए 275 वोट चाहिए थे। भाजपा प्रत्याशी चंद्रशेखर बावनकुले को कुल 362 वोट मिले, जबकि रवींद्र भोयर को सिर्फ एक वोट मिला,वहीं कांग्रेस प्रत्याशी मंगेश देशमुख को 186 मत मिले। बताया जा रहा है कि नागपुर में बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग होने के कारण कांग्रेस की हार हुई।
अकोला में वसंत खंडेलवाल को 443 वोट मिले
एक तरफ जहां नागपुर में चंद्रशेखर बावनकुले ने बड़े अंतर से जीत हासिल की, वहीं अकोला में भी ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली। अकोला में भाजपा प्रत्याशी वसंत खंडेलवाल को 443 वोट मिले, जबकि शिवसेना उम्मीदवार गोपीकिशन बाजोरिया को 334 वोट मिले।
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इस कारण हुई हार
कहा जा रहा है कि नागपुर में प्रत्याशी बदलने से कांग्रेस प्रत्याशी को काफी नुकसान उठाना पड़ा। यहां से पहले छोटू भोयर को पार्टी ने नॉमिनेट किया था, लेकिन बाद में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदल दिया और छोटू भोयर की जगह निर्दलीय उम्मीदवार मंगेश देशमुख को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी। पता चला है कि भोयर को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
तानाशाही से पार्टी चलाने का परिणामः बावनकुले
इस बीच अपनी जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के विजयी उम्मीदवार चंद्रशेखर बावनकुले ने कांग्रेस पार्टी और प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा, “भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 318 वोट थे। लेकिन महाविकास आघाड़ी प्रत्याशी को मात्र 186 मत मिले। शिवसेना और राकांपा का समर्थन होने के बावजूद उसे इतने कम वोट मिले।”
नाना पटोले की आलोचना
बावनकुले ने कहा, “प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले की कांग्रेस में तानाशाही भूमिका और पार्टी को दो मंत्रियों के दबाव से कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता खफा थे। मतदाता भ्रमित थे। यह पार्टी को तानाशाही तरीके से चलाने का परिणाम है। उन्हें इस बारे में विचार करना चाहिए कि उनके वोट क्यों बंट गए। काफी प्रयासों के बावजूद वे कार्यकर्ताओं को एक साथ नहीं रख सके। यह कांग्रस नेताओं की करारी हार है। उनके कार्यकर्ता ईमानदारी से काम करने को तैयार हैं। नाना पटोले प्रदेश अध्यक्ष बनने के लायक नहीं हैं।”