Maharashtra: मंत्री नहीं बनाये जाने से महायुति के कई विधायक नाराज, उठाया ये कदम

महाराष्ट्र सरकार के मौजूदा मंत्रिमंडल में चार पूर्व मंत्रियों को फिर से मंत्री नहीं बनाया गया है। इस कारण उनमें जबरदश्त नाराजगी है।

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Maharashtra में देवेंद्र फडणवीस के मंत्री समूह के विस्तार के बाद मंत्री पद न मिलने से कई विधायकों ने खुलकर नाराजगी जताई है। कई विधायकों ने नागपुर में 16 दिसंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र को छोड़कर मुंबई लौट आए हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनों उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार अपने-अपने विधायकों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं।

चार पूर्व  मंत्रियों का काटा पत्ता
महाराष्ट्र सरकार के मौजूदा मंत्रिमंडल में चार पूर्व मंत्रियों को फिर से मंत्री नहीं बनाया गया है। इनमें पूर्व वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार फिर से मंत्री न बनाए जाने से नाराज बताए जा रहे हैं। मुनगंटीवार ने कहा कि उनका नाम अंतिम समय में काटा गया है। इस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि उन्होंने मुनगंटीवार से बात की है। पार्टी उन्हें अलग जिम्मेदारी देने का विचार कर रही है। भाजपा को आज विधायक रवि राणा की भी नाराजगी का सामना करना पड़ा। रवि राणा ने बताया कि उनका नाम भी अंतिम समय में काट दिया गया है। रवि राणा ने नागपुर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भाग नहीं लिया और अपने मूल जिले अमरावती लौट गए। इसी तरह पालघर के भाजपा विधायक राजेंद्र गावित ने भी मंत्री पद न मिलने पर नाराजगी जताई है।

शिवसेना शिंदे गुट में भी नाराजगी
शिवसेना शिंदे समूह के पूर्व मंत्री तानाजी सावंत को भी वर्तमान मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला है। इसलिए वे भी नागपुर से निकल गए हैं। शिवसेना शिंदे समूह के विधायक प्रकाश सुर्वे भी मंत्री पद न मिलने से नाराज हैं और वे भी नागपुर से मुंबई लौट आए हैं। शिवसेना शिंदे समूह के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सभी विधायकों को सब्र करने की अपील की है।

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भुजबल का इशारा
इसी तरह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एपी) के पूर्व मंत्री छगन भुजबल फिर से मंत्री न बनाए जाने पर नाराज हैं। सोमवार को छगन भुजबल ने कहा कि -जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना। इस तरह छगन भुजबल ने कोई बड़ा कदम उठाने का संकेत दिया है। छगन भुजबल ने कहा कि उन्हें पार्टी की ओर से राज्यसभा में भेजने की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने नकार दिया। वे नहीं चाहते कि उनके विधानसभा क्षेत्र के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जाए।

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