Maharashtra: मराठा नेता जरांगे ने पांच दिन बाद खत्म की भूख हड़ताल, शिंदे सरकार को दिया यह अल्टीमेटम

मराठा नेता मनोज जरांगे पाटील ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पिछले पांच दिन से जालना जिले में चल रही अपनी भूख हड़ताल खत्म करने की घोषणा की।

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Maharashtra: मराठा नेता मनोज जरांगे पाटील ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पिछले पांच दिन से जालना जिले में चल रही अपनी भूख हड़ताल 24 जुलाई की दोपहर में खुद खत्म करने की घोषणा की। गांव की महिलाओं के हाथों मनोज जरांगे ने फलों का जूस पीकर अपनी हड़ताल खत्म कर दी। उन्होंने सरकार को मराठा समाज के लोगों को सगे संबंधियों के आधार पर 13 अगस्त तक कुनबी जाति प्रमाण पत्र दिए जाने का अल्टीमेटम दिया है।

13 अगस्त तक का दिया अल्टीमेटम
इस मौके पर मनोज जरांगे ने कहा कि वे अपनी मांग पर कायम हैं और सरकार को 13 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर सरकार ने तब तक उनकी मांग नहीं मानी तो वे फिर से भूख हड़ताल के लिए बाध्य होंगे। जारांगे ने कहा कि भूख हड़ताल ही उनका हथियार है और इससे सरकार डरती है, लेकिन बीती रात उनकी तबीयत बहुत बिगड़ गई थी और उनके गांव वालों ने उन्हें जबरन सलाईन लगवा दिया था। सलाईन लेने के बाद भूख हड़ताल को कोई मतलब नहीं रह गया है। इसी वजह से उन्होंने अपनी हड़ताल खत्म करने का निर्णय लिया है। जारांगे ने कहा कि दो दिन बाद वे अपनी मांग के समर्थन में महाराष्ट्र का दौरा शुरु करेंगे। विधानसभा में हमारे सवाल उठाने वाला कोई नहीं है। इसलिए जारांगे ने कहा है कि वह विधानसभा में अपने 30 से 40 विधायक भेजेंगे।

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सरकार से लगाई गुहार
मनोज पाटील ने कहा कि जाति वैधता प्रमाण पत्र का विस्तार करते समय तीनों विकल्प एसईबीसी, कुनबी और ईडब्ल्यूएस को खुला रखा जाना चाहिए। ऐसी व्यवस्था करें कि जिन मराठों के अभिलेख मिलें, उन मराठों अर्थात् पिछड़े मराठों को प्रमाण पत्र दे दिया जाये। उन्होंने मांग की है कि हैदराबाद गजट, बॉम्बे गजट और सतारा संस्थान को जल्द से जल्द लागू किया जाए।

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