एक कहावत है ‘राजा को पता नहीं, सियारों ने जंगल बांट लिया’ ऐसी ही स्थिति महाराष्ट्र के एक कद्दावर मंत्री की इन दिनों हुई है। उन्हें पता ही नहीं चला और निजी सचिव ने पचास लाख का झोल कर दिया। इतनी बड़ी रकम उसने एक डॉक्टर से ली थी। जिसे केंद्रीय समिति में पद दिलाने का झांसा दिया था, लेकिन डॉक्टर को ‘न माया(धन) मिली, न पद’।
मंत्री के सचिव की हिम्मत तो देखिये, मंत्री की नाक के नीचे पचास लाख का फर्जीवाड़ा कर दिया और किसी को पता नहीं चला। इसका पता तब चला जब मंत्री के सरकारी निवास पर संबंधित डॉक्टर ने हंगामा कर दिया। इससे सकपकाए मंत्री ने तत्काल हंगामा कर रहे डॉक्टर को बुलाया और प्रकरण को समझा।
केंद्रीय समिति के नाम, कर दिया ऐसा काम
नासिक का एक होमियोपैथी डॉक्टर अपनी नियुक्ति केंद्रीय समिति में कराने का इच्छुक था। इसके लिए वह प्रयत्न भी कर रहा था। इस बीच उसकी भेंट उत्तर महाराष्ट्र के एक कद्दावर नेता के निजी सचिव से हो गई। नेता के निजी सचिव ने डॉक्टर का कार्य करने का सट्टा उठा लिया, जिसके बदले पचास लाख रुपए मांगे। जिसे डॉक्टर ने दे दिया। परंतु, जब लंबे काल तक डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हुई और पचास लाख रुपए भी हाथ से निकल गए तो वह ठगा गया महसूस करने लगा। ऐसे में एक दिन वह सीधे मुंबई स्थित नेता के सरकारी आवास पर पहुंच गया और हंगामा कर दिया।
सचिव लौटाएगा पैसा?
नेता अब मंत्री बन गए हैं। अपने सचिव की कारस्थानी जानने के बाद उन्होंने सीधे आदेश दिया कि, शीघ्र पचास लाख रुपए लौटाया जाएं। हालांकि, यह प्रकरण सीधे-सीधा धोखाधड़ी का है, लेकिन नेता ने मौखिक रुप से चेतावनी देते हुए अपने सचिव को पद से बाहर कर दिया और डॉक्टर की रकम लौटाने का निर्देश दिया है।