राज्यपाल की ‘वो’ बात नवाब को खटक गई!

प्रदेश के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने आरोप लगाया है कि प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भूल गए हैं, कि वे राज्यपाल हैं, मुख्यमंत्री नहीं।

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राज्यपाल और राज्य के मुख्यमंत्री के बीच अधिकारों को लेकर टकराव कोई नई बात नहीं है। ताजा मामला महाराष्ट्र का है। प्रदेश के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने आरोप लगाया है कि प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शायद भूल गए हैं, कि वे राज्यपाल हैं, मुख्यमंत्री नहीं। इसलिए वे मुख्यमंत्री के अधिकारों का उल्लंघन कर राज्य में समानांतर सरकार चलाने का प्रयास कर रहे हैं।

मलिक ने कहा कि राज्यपाल प्रदेश का संवैधानिक प्रमुख होता है, जबकि मुख्यमंत्री जनता द्वारा चुना गया कार्यकारी प्रमुख होता है। इस संवैधानिक प्रावधान को राज्यपाल को समझना चाहिए।

राज्यपाल की आलोचना
राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने राज्यपाल की आलोचना की है। उन्होंने कथित रुप से राज्य सरकार के मामलों में दखल देने की कोशिश करने के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की आलोचना की। मलिक ने इस बारे में बड़ा बयान देते हुए कहा कि राज्यपाल को पता होना चाहिए कि वे राज्यपाल हैं, मुख्यमंत्री नहीं।

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राज्यपाल के दौरे पर आपत्ति
मलिक ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में महाविकास आघाड़ी सरकार के सत्ता में आने के बाद से राज्यपाल राज्य सरकार के मामलों में बार-बार हस्तक्षेप कर रहे हैं। अब राज्यपाल 5, 6 और 7 अगस्त को दौरा करेंगे। इसमें अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालय में छात्रावासों का निर्माण किया गया है। इन छात्रावासों को अभी तक राज्य सरकार द्वारा वर्गीकृत भी नहीं किया गया है। इसके उद्घाटन का अधिकार राज्य सरकार को है। लेकिन राज्यपाल ने बिना सरकार से संपर्क साधे इन छात्रावासों के उद्घाटन कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। दौरे के दौरान राज्यपाल कलेक्टर और कमिश्नर के साथ समीक्षा बैठक भी करेंगे। इसे लेकर मलिक ने राज्यपाल पर राज्य सरकार के मामलों में दखल देने और राज्य में सत्ता के दो केंद्र स्थापित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

कैबिनेट ने किया विरोध
यदि राज्यपाल राज्य में किसी विषय पर जानकारी चाहते हैं, तो उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अनुरोध करेंगे। लेकिन ऐसा किए बिना वे सीधे राज्य सरकार के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। यह मामला कैबिनेट में चर्चा के लिए आया है, जिस पर नाराजगी जताई गई है। कैबिनेट ने राज्यपाल के दौरे का भी विरोध किया है। अब राज्य के मुख्य सचिव राज्यपाल के सचिव से मिलेंगे और उन्हें इस बारे में सूचित करेंगे।

‘आप राज्यपाल हैं, मुख्यमंत्री नहीं’
मलिक ने कहा कि राज्यपाल कोश्यारी पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। इसलिए अगर उन्हें लगता है कि हम अभी भी मुख्यमंत्री हैं तो उन्हें पता होना चाहिए कि ऐसा नहीं है। मलिक ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि राज्यपाल राज्य सरकार की आपत्ति के बाद ही कुलपति के रूप में विश्वविद्यालयों के अपने दौरे को सीमित करेंगे।”

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