पिछले ढाई महीने से अधिक समय से महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। निगम को सरकार में विलय की मांग को लेकर वे हड़ताल पर हैं । इसलिए डिपो में अधिकांश बसें एक ही जगह खड़ी हैं। चूंकि ये बसें लंबे समय से यूं ही खड़ी हैं, इस स्थिति में इन बसों को वापस सड़क पर लाने में काफी खर्च आएगा। बंद पड़ी ये बसें एसटी निगम के लिए सिरदर्द बन रही हैं।
पुर्जों की चोरी के साथ तोड़फोड़ भी
ये बसें डिपो में एक ही जगह खड़ी हैं और लगभग ढाई महीने से नहीं चल रही हैं। ऐसे में बस का मेंटेनेंस बढ़ रहा है। पता चला है कि डिपो से बस के पुर्जे चोरी हो रहे हैं और अन्य तरह के भी नुकसान पहुंचाए जा रहे हैं। एसटी डिपो बंद होने और वहां यात्रियों के न होने का लाभ उठाकर उसी स्थान पर खड़ी एसटी बसों के पुर्जों की चोरी की जा रही है।
मेंटेनेंस का खर्च बढ़ेगा
पिछले ढाई महीने से एसटी डिपो में बसें एक ही जगह खड़ी हैं, जिससे उनकी बैटरियां भी डाउन हो रही हैं, जबकि कुछ बसों के पहियों में हवा कम हो गई है। उनको फिर से सड़क पर लाने के लिए निगम को बसों में काफी काम करना होगा। ऐसे में मेंटेनेंस का खर्चा बढ़ना तय है।