महाराष्ट्र में पिछले नौ दिनों से जारी राजनैतिक ड्रामा समाप्त हो गया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पद के साथ ही विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ लगभग ढाई वर्ष की महाविकास आघाड़ी सरकार का अंत हो गया। हालांकि मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बावजूद उद्धव ठाकरे की चुनौतियां खत्म नहीं हुई है। उनके सामने अनेक चुनौतियां हैं, जिनसे निपटना और पार्टी को फिर से संगठित करना आसान नहीं है।
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उद्धव ठाकरे के सामने चुनौतियां
- दो फाड़ में बंटी शिवसेना को फिर से संगठित करना
- शिंदे गुट से शिवसेना से बेदखल कर पार्टी पर पकड़ बरकरार रखना। इस मामले में कानूनी लड़ाई की भी संभावना है।
- असंतुष्ट विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में शिवसेना को फिर से स्थापित करना
- एक साथ कई वरिष्ठ नेताओं के छोड़ने से पार्टी में खाली पड़े स्थान को भरना और मजबूत नेतृत्व तैयार करना
- महानगरपालिका, नगरपालिका और जिला परिषद चुनावों में शिवसेना को सफलता दिलाना
- असंतुष्टों के साथ सत्ता में आ रही आक्रामक भाजपा का मुकाबला करना
- 1990 के बाद से विधान सभा में सबसे कम संख्या बल को फिर से बढ़ाकर पार्टी क मजबूत करना