- महेश सिंह
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र (Maharashtra) में विधानसभा चुनाव (assembly elections) के तारीखों की घोषणा (announcement of dates) भले ही चुनाव आयोग (Election Commission) ने नहीं की है, लेकिन सभी पार्टियों ने तैयारियां युद्ध स्तर पर शुरू कर दी हैं। महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर तीनों प्रमुख पार्टियों भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party), शिवसेना शिंदे गुट (Shiv Sena Shinde faction) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अजीत पवार गुट (Nationalist Congress Party Ajit Pawar faction) में बातचीत जारी है।
हालांकि अभी तक जो खबरें आ रही हैं, उसके अनुसार इसमें काफी खींचतान चल रही है। इनके सबसे बड़े पार्टनर भाजपा के लिए शिंदे गुट से ज्यादा मुश्किल एनसीपी अजीत पवार गुट के साथ टिकट बंटवारे में हो रही है। चर्चा यह भी है कि अजीत पवार प्रदेश में महागठबंधन से अलग होकर मैत्रीपूर्ण चुनाव लड़ सकते हैं।
यह भी पढ़ें- Bihar Politics: शराबबंदी खत्म करने को लेकर प्रशांत किशोर का बड़ा वादा, चुनाव जीते तो उठेंगे यह कदम
महागठबंधन और महाविकास आघाड़ी में टक्कर
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की सीधी टक्कर महाविकास आघाड़ी से होनी है। इसलिए यह चुनाव दोनों ही गठबंधनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। एमवीए में भी टिकट बंटवारे की कोशिश जारी है। लेकिन इस गठबंधन की तीनों पार्टियों कांग्रेस, उद्धव बालासाहेब ठाकरे शिवसेना और एनसीपी शरद पवार गुट की अधिक से अधिक सीट हासिल करने का प्रयास जारी है। यहां भी सीट शेयरिंग का काम किसी यज्ञ संपन्न होने से कम मुश्किल नहीं है। बीच-बीच में जो खबरें आ रही हैं, उससे यह भी लगता है कि क्या कांग्रेस प्रदेश के चुनावी अखाड़े में अकेला उतरना चाहती है।
यह भी पढ़ें- Jharkhand: पीएम मोदी ने चंपई सोरेन के ‘अपमान’ को लेकर जेएमएम पर साधा निशाना, जानें क्या कहा
कुल 288 सीटों पर जोर आजमाइश
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं और इस हिसाब से बहुमत का आंकड़ा 145 है। इनमें 36 सीटें मुंबई में हैं। बीच-बीच में विभिन्न एजेंसियों द्वारा जो सर्वे कराए जा रहे हैं, उनमें यह स्पष्ट नहीं है कि प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनेगी या महाविकास आघाड़ी की। हालांकि ये भी तय है कि दोनों में टक्कर कांटे की होगी।
यह भी पढ़ें- Har Ghar Durga: आपकी रक्षा आपके हाथ में !
16 लाख से अधिक उत्तर भारतीय मतदाता
फिलहाल आगामी चुनाव में उत्तर भारतीय मतदाताओं की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी। मुंबई की 36 विधानसभा सीटों पर कुल 96 लाख 53 हजार 100 मतदाता हैं। इनमें मराठी वोटों की संख्या 36 लाख 30 हजार 600 है। गुजराती और राजस्थानी वोट 14 लाख 58 हजार 800 हैं। मुस्लिम मतदाता 17 लाख 87 हजार हैं। उत्तर भारतीय मतदाता 16 लाख 11 हजार 400 और दक्षिण भारतीय मतदाता 6 लाख 97 हजार 600 हैं।
यह भी पढ़ें- Haryana Assembly Polls: अनिल विज ने बढ़ाई BJP हाईकमान की टेंशन, मुख्यमंत्री पद को लेकर कही यह बात
हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका
निश्चित रूप से आने वाले विधानसभा चुनाव में मायानगरी में उत्तरभारतीय मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उनको लुभाने की कोशिश काफी पहले से ही सभी पार्टियों ने शुरू कर दी है। स्वाभाविक है, उनको अपनी ओर खींचने में उत्तर भारतीय नेताओं का अहम रोल होगा। यहां हम उन नेताओं के बारे में जानते हैं, जिनकी आने वाले चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
यह भी पढ़ें- PCS Transfer: उत्तर प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 13 PCS अफसरों का तबादला
शिंदे गुट के लिए साबित होंगे वरदान
संजय निरुपम
संजय निरुपम शिवसेना, कांग्रेस से होते हुए अब शिवसेना शिंदे गुट में आ चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उन्होंने शिवसेना शिंदे गुट का दामन थाम लिया। हालांकि लोकसभा में उन्हें भाग्य आजमाने का मौका नहीं मिला और अब विधानसभा में उनके चुनाव के मैदान में उतरने की संभावना न के बराबर है। लेकिन उत्तर भारतीय मतदाताओं पर उनकी अच्छी पकड़ है। इस लिहाज से आने वाले विधानसभा चुनाव में वह शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवारों के लिए उत्तर भारतीय वोट बैंक को खींचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
यह भी पढ़ें- Engineers Day 2024: मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया कौन थे?
कृपा भइया का दिखेगा जलवा
कृपाशंकर सिंह
भाजपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट से किस्मत आजमा चुके कृपशंकर सिंह पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबकी नजर रहेगी। सिंह ने जौनपुर से पहली बार लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा था और सपा के बाबू सिंह कुशवाहा से हार गए थे। अब उनकी नजर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर टिकी है। वे विलेपार्ले पूर्व विधानसभा सीट से किस्मत आजमा सकते हैं।
यह भी पढ़ें- Delhi: केजरीवाल के इस्तीफे के दावे पर भाजपा की पहली प्रतिक्रिया, जानें क्या कहा
राजनीतिक सफर
कृपाशंकर सिंह कांग्रेस में रहते हुए 2004 में राज्य मंत्रिमंडल में गृह राज्य मंत्री थे । 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के खिलाफ मुंबई में कांग्रेस की जीत में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी । वह जून 2011 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी मुंबई अध्यक्ष थे। पूर्व में मुंबई चुनावों में उन्होंने सांताक्रूज निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी।
यह भी पढ़ें- Mubarak Mandi Palace: जम्मू स्थित मुबारक मंडी महल के बारे में जानने के लिए पढ़ें
मजबूत उत्तर भारतीय चेहरा
कांग्रेस से भाजपा में आए राजहंस सिंह वर्तमान में विधान परिषद के सदस्य हैं। 40 वर्षों तक कांग्रेस के लिए काम करने वाले राजहंस सिंह सात साल पहले पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस नेता के रूप में वह आठ साल तक महानगरपालिका में विपक्ष के नेता रहे हैं। मुंबई मलाड में दिंडोशी से विधायक रह चुके सिंह को मजबूत उत्तर भारतीय चेहरा माना जाता है। उन्हें दिंडोशी से टिकट दिए जाने की उम्मीद है। इसके साथ ही वे अन्य क्षेत्रों में भाजपा के लिए उत्तर भारतीय मतदाताओं को खींचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
यह भी पढ़ें- Mumbai: साइबर अपराधियों का नया चेहरा, मुंबई पुलिस कमिश्नर को भेजा गया गिरफ्तारी का नोटिस
विरासत की सियासत
जीशान सिद्दीकी
बांद्रा पूर्व से वर्तमान में विधायक जीशान सिद्दीकी 19 अगस्त 2024 को कांग्रेस का हाथ छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अजीत पवार गुट में शामिल हो गए हैं। उनके पिता बाबा सिद्दीकी इसी क्षेत्र से तीन बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। वे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। बांद्रा क्षेत्र में सिद्दीकी परिवार का वर्चस्व है। इस बार भी इस सीट से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अजीत पवार गुट द्वारा जीशान सिद्दीकी को मैदान में उतारने की संभावना है।
यह भी पढ़ें- Britannia Industries: 2024 में 73.50 रुपये प्रति शेयर का लाभांश! विश्लेषक ने दिया यह सुझाव
कांटे की टक्कर
नसीम खान
नसीम खान की उत्तर भारतीय मतदाताओं में अच्छी पकड़ है। चांदीवली विधानसभा क्षेत्र में इस उत्तर भारतीय कांग्रेस नेता का काफी प्रभाव माना जाता है। वे इससे पहले भी इस सीट से कई बार विधायक रह चुके हैं। पिछले चुनाव में वे शिवसेना के टिकट पर मैदान में उतरे दिलीप मामा लांडे से हार गए थे। इस बार कांग्रेस द्वारा उन्हें यहीं से टिकट दिए जाने की पूरी संभावना है।
यह भी पढ़ें- Dhule Car Accident: धूल में भीषण सड़क हादसा! पिकअप वैन और बोलेरो कार में टक्कर; 5 की मौत कई घायल
असमंजस में नवाब
नवाब मलिक
कुर्ला नेहरू नगर से एनसीपी विधायक नवाब मलिक भी उत्तरभारतीयों में बड़ा चेहार माने जाते हैं। हालांकि कुख्यात गैंगस्टर दाउद इब्राहिम की संपत्तियों से संबंधित वित्तीय हेराफेरी के मामले में वे जेल की हवा खा चुके हैं। दरअसल उद्धव ठाकरे की महाविकास अघाड़ी सरकार में अल्पसंख्यक विकास मंत्री का पद संभाल रहे नवाब मलिक को प्रवर्तन निदेशालय यानी ‘ईडी’ ने 23 फरवरी 2022 को गिरफ्तार कर लिया था। ईडी ने नवाब मलिक की आठ संपत्तियों को जब्त कर लिया था। इनमें कुर्ला के गोवाल कंपाउंड में नवाब मलिक की संपत्ति, धाराशिव में 147 एकड़ जमीन, मुंबई में 3 फ्लैट और रेजिडेंशियल हाउस शामिल हैं।
यह भी पढ़ें- Delhi: ‘मैं दो दिन बाद CM पद से इस्तीफा दूंगा’, अरविंद केजरीवाल का बड़ा ऐलान
असमंजस की स्थिति
कुछ महीने पहले ही वे जेल से बाहर आए हैं। इस बीच एनसीपी में दो फाड़ होने के बाद वे किस गुट में हैं, इस बारे में असमंजस की स्थिति है। वे अजीत पवार की कुछ बैठकों में देखे जा चुके हैं। हालांकि वे शरद पवार के काफी करीबी माने जाते हैं। आगामी चुनाव में उन्हें टिकट दिए जाने को लेकर संदेह है। हालांकि वे उत्तर भारतीय और खास कर मुस्लिम वोटों को अपनी पार्टी की ओर आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
यह भी पढ़ें- Sinhagad Fort: मराठा इतिहास में सिंहगढ़ किले का ऐतिहासिक महत्व जानने के लिए पढ़ें
फिर जीत की उम्मीद
अबू आजमी
अबू आजमी समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और उत्तर भारतीयों खासकर मुसलमान मतदाताओं पर उनकी मजबूत पकड़ है। वर्तमान में वे मानखुर्द शिवाजी नगर विधानसभा से विधायक हैं। इस बार भी उनके सपा के टिकट पर मैदान में उतरने की संभावना है।आजमी ने 2009 से 2024 तक इसी सीट से लगातार तीन जीत हासिल की हैं ।
यह भी पढ़ें- Nitin Gadkari: नितिन गडकरी ने किया बड़ा खुलासा, कहा- लोकसभा इलेक्शन के वक्त मिला था प्रधानमंत्री पद का ऑफर
गोरेगांव की ठाकुर
विद्या ठाकुर
विद्या ठाकुर भारतीय जनता पार्टी की नेता हैं और गोरेगांव से 13वीं महाराष्ट्र विधानलसभा सीट की सदस्य रही हैं । वह देवेंद्र फडणवीस मंत्रालय में महिला एवं बाल विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण, खाद्य एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री थीं। 10 जुलाई 2016 को कैबिनेट फेरबदल में उन्हें खाद्य एवं औषधि प्रशासन की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया था। उनकी पहचान मजबूत उत्तर भारतीय नेता के रूप में है। इस बार उन्हें पार्टी टिकट मिलने की संभावना काफी कम है। हालांकि वे पार्टी के लिए मत जुटाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
यह वीडियो भी देखें-
Join Our WhatsApp Community