Maharashtra Politics: विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में हार के बाद महाविकास अघाड़ी (Mahavikas Aghadi) (एमवीए) के भीतर आंतरिक विवाद (Internal Dispute) जारी है। कांग्रेस, शिवसेना (ठाकरे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार गुट) एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। अब यह स्पष्ट हो गया है कि इसका असर स्थानीय निकाय चुनावों पर भी पड़ेगा और एमवीए इन चुनावों में एक साथ चुनाव नहीं लड़ेगी।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने राष्ट्रवादी काँग्रेस (शरदचंद्र पवार गुट) सांसद अमोल कोल्हे पर निशाना साधते हुए तीखी टिप्पणी की। वडेट्टीवार ने कोल्हे पर तंज कसते हुए कहा, “अमोलराव को अपनी पार्टी पर ध्यान देना चाहिए और हमें कम सलाह देनी चाहिए।” कांग्रेस की आलोचना करते हुए कोल्हे ने कहा था, “कांग्रेस अभी भी अपनी टूटी हुई कमर सीधी नहीं कर पाई है, जबकि ठाकरे समूह सो रहा है।” वडेट्टीवार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
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माविआ की हार का कारण
इस बीच, वडेट्टीवार ने कहा कि माविआ की हार का कारण सीट बंटवारे में गड़बड़ी थी। “क्या यह सीट आवंटित करने में समय बर्बाद करने की साजिश थी?” उन्होंने ऐसा प्रश्न भी उठाया। इस पर शिवसेना (ठाकरे गुट) सांसद संजय राउत ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस ने एनसीपी को एक सीट देने के लिए 17 दिनों तक बवाल मचाया। कुछ लोगों ने सोचा कि हम जीतेंगे और मुख्यमंत्री का पद ले लेंगे।” माविआ में आंतरिक संघर्ष स्थानीय निकाय चुनावों के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद माविआ से एकजुट होकर आगे बढ़ने की उम्मीद थी। हालाँकि, पार्टियों के बीच मतभेदों के कारण राजनीतिक विभाजन उजागर हो गया है।
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स्थानीय निकाय चुनाव
विशेष रूप से, विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस और ठाकरे गुट के बीच समन्वय की कमी के साथ-साथ एनसीपी (शरदचंद्र पवार गुट) की भूमिका के कारण माविआ का राजनीतिक प्रभाव कम हो रहा है। इन आंतरिक विवादों के कारण स्थानीय निकाय चुनावों में तीनों दलों के अलग-अलग रास्ते अपनाने की संभावना पैदा हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि माविआ में इस विभाजन से भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को राजनीतिक रूप से लाभ मिलने की संभावना है। ऐसे में सबका ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि माविआ की भावी राजनीतिक राह क्या होगी?
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