Maharashtra: विदर्भ और मराठवाड़ा(Vidarbha and Marathwada) की तरह महाराष्ट्र के बाकी हिस्सों में भी मंदिर की भूमि(Temple land) को प्रथम श्रेणी का बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य में कई जगहों पर वक्फ बोर्ड(Wakf Board) द्वारा जमीन हड़पने की शिकायतें(Land grabbing complaints) की जा रही हैं। इस संबंध में केन्द्रीय स्तर पर कानून बनाने का कार्य(Lawmaking at central level) चल रहा है। हालांकि, राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले(Revenue Minister Chandrashekhar Bawankule) ने विधानसभा(Assembly) को बताया कि यदि वक्फ बोर्ड द्वारा निजी और मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण(Encroachment on temple land) पाया गया तो उसे हटा दिया जाएगा।
वह विधायकों गोपीचंद पडलकर, मोनिका राजले और देवराव भोंगले द्वारा विधानसभा में उठाए गए सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें मंदिर की भूमि को श्रेणी 1 में वर्गीकृत करने, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और वन अधिकार भूमि के संबंध में सवाल उठाया गया था।
विशेष समिति गठित
राजस्व मंत्री बावनकुले (Chandrashekhar Bawankule) ने कहा कि राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया है और राजस्व विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक विशेष समिति गठित की गई है। उन्होंने बताया कि सरकार इस समिति की सिफारिशों के बाद विधानमंडल में एक कानून पेश करेगी। मराठवाड़ा में बावनकुले ने यह भी कहा कि हालांकि कैबिनेट ने कुछ हद तक किसानों को जमीन लौटाने के फैसले पर चर्चा की है, लेकिन वास्तविक कानून पारित करना होगा।
जल्द बनेगा सख्त कानून
किसानों की जमीन के साथ-साथ मंदिर की दान भूमि पर अतिक्रमण के मुद्दे पर भी अधिवेशन में चर्चा हुई। विधायक मोनिका राजले ने महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में मंदिर स्थलों पर अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने बताया कि नागपुर, राहुरी, श्रीरामपुर, कोल्हार सहित कई स्थानों पर मंदिर स्थलों पर अनधिकृत निर्माण कार्य किए गए हैं।
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि अतिक्रमण रोकने के लिए जल्द ही सख्त कानून बनाए जाएंगे, उन्होंने स्थानीय प्रशासन और पुलिस को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए।
सुलझेगा वनाधिकार और पट्टा का विवाद
जिवती तालुका में वन अधिकार और बेल्ट के मुद्दे पर भी विधानसभा में चर्चा हुई। विधायक देवराव भोंगले ने एक दिलचस्प प्रस्तुति दी। जिवती तालुका में 33,480 हेक्टेयर भूमि विवादित होने के कारण कई किसान अपने भूमि स्वामित्व अधिकार से वंचित हैं। मांग की गई कि सरकार इस संबंध में तत्काल कदम उठाए। राजस्व मंत्री ने कहा कि इस संबंध में वन विभाग, केन्द्र सरकार, राजस्व, स्थानीय जिला परिषद और जिला कलेक्टर के साथ बैठक कर लोगों को न्याय दिलाने का प्रयास किया जाएगा।