महाराष्ट्रः संजय राउत ने पीएम को बताया देश का सबसे बड़ा नेता! क्यों बदले शिवसेना के सुर?

सुबह से लेकर शाम तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की जी भरकर आलोचना करते रहने वाले शिवसेना सांसद संजय राउत ने पीएम मोदी को सबसे बड़ा नेता बताया है।

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पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना के सुर बदलए हुए दिख रहे है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस बयान के बाद कि वे नवाज शरीफ से मिलने नहीं आए थे, देश के प्रधानमंत्री से मिलने आए थे, अब पार्टी सांसद संजय राउत ने भी पीएम की खुलकर प्रशंसा की है।

राउत ने कहा है,’मेरा मानना है कि नरेंद्र मोदी देश और भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि पिछले 7 सालों में भारतीय जनता पार्टी को जो सफलता मिली है, वह सिर्फ नरेंद्र मोदी की वजह से है।’

राजनीति में कुछ भी संभव
सुबह से लेकर शाम तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की जी भरकर आलोचना करते रहने वाले संजय राउत के इस बयान पर भरोसा करना मुश्किल लग सकता है। लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है। इस सिद्धांत को मानने वालों को राउत के इस बयान पर कोई आश्चर्य नहीं होगा। राउत ने इससे पहले पीएम मोदी की कब प्रशंसा की थी, ये याद करना बहुत ही मुश्किल है।

सीएम उद्धव ठाकरे ने क्या कहा था?
8 जून को दिल्ली में पीएम से मिलने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राजनैतिक तौर पर हम उनके साथ नही हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हमारा संबंध टूट गया। ये कोई गलत बात नहीं है। मैं कोई नवाज शरीफ से मिलने नहीं आया था। अगर मैं व्यक्तिगत रुप से देश के पीएम से मिलता हूं तो इसमें गलत क्या है? इसके साथ ही सीएम ने 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए मुफ्त टीका उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार द्वारा लेने के लिए भी मोदी सरकार को बधाई दी थी।

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रांकापा-कांग्रेस हो सकती है नाराज
बता दें कि सरकार में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 10 जून को 22 साल पूरे हो गए। इस अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में पार्टी प्रमुख शरद पवार ने सरकार के पांच साल तक चलने का दावा किया है। हालांकि हाल ही में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस और पवार में हुई मुलाकात के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में अटकलों का बाजार गरम था। अब संजय राउत की मोदी भक्ति से राकांपा और कांग्रेस नाराज हो सकती है, लेकिन फिलहाल ये बात भी पक्की है कि इस सरकार को कोई खतरा नहीं है, क्योंकि मंत्री पद की मलाई के लिए तीनों को मिलकर रहने में ही भलाई है।

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