महाराष्ट्र के निलंबित 12 भारतीय जनता पार्टी विधायकों को सर्वोच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली है। न्यायालय ने उनके निलंबन रद्द करने से इनकार कर दिया है। न्यायालय के इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि 22 से 28 दिसंबर तक चलने वाले महाराष्ट्र के शीतकालीन सत्र में ये 12 विधायक शामिल नहीं हो पाएंगे। शीतकालीन सत्र मुंबई में आयोजित किया जाएगा।
5 जुलाई 2021 को मानसून सत्र के दौरान विधानसभा के पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव से कथित दुर्व्यवहार को लेकर भाजपा के 12 विधायकों को निलंबित कर दिया गया था।
विपक्ष का आरोप
विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सत्तापक्ष के आरोप को गलत बताया था। फडणवीस ने कहा था कि भाजपा विधायकों ने पीठासीन अधिकारी से किसी भी तरह का दुर्व्यवहार नहीं किया। उन्होंने कोई अपशब्द नहीं कहे। विपक्षी नेता ने आरोप लगाया था कि यह सदन में विपक्ष की ताकत को कम करने की साजिश है। हमने निकाय चुनावों में ओबीसी के आरक्षण को लेकर सरकार के खिलाफ जो मुद्दा उठाया था, उसके कारण यह निलंबन की कार्यवाही की गई है।
भाजपा ने खटखटाया था सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा
बता दें कि निलंबन के विरोध में भाजपा ने सदन से वाकआउट किया था। इसके साथ ही 12 निलंबित विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात कर इसे एकतरफा कार्यवाही बताई थी। उन्होंने इस मामले में राज्यपाल से उचित कार्रवाई की भी मांग की थी। उसके बाद 12 विधायकों ने निलंबन के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। न्यायालय ने कहा कि इस तरह के निलंबन मे विधायिका को न्यायालय द्वारा निर्देश नहीं दिया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि निलंबन की कार्यवाही उनके नियमों के अनुरुप हो सकती है।
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ये हैं निलंबित भाजपा विधायक
निलंबित भाजपा विधायकों में अतुल भतखलकर, राम सतपुते, आशीष शेलार, संजय कुटे, योगेश सागर, कीर्तिकुमार बागड़िया, गिरीश महाजन, जयकुमार रावल, अभिमन्यु पवार, पराग अलवानी, नारायण कुचे और हरीश पिंपल शामिल हैं।सर्वोच्च न्यायालय ने 14 दिसंबर को इस मामले में कोई स्पष्ट फैसला नहीं दिया। मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी को होगी।