महाराष्ट्र विधान सभा से निलंबित भारतीय जनता पार्टी के 12 विधायकों ने बड़ा कदम उठाया है। इन लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली है। इसके लिए भाजपा विधायक आशीष शेलार दिल्ली में हैं।
महाविकास आघाड़ी सरकार के निर्णय से अब भाजपा विधायकों को मानधन और भत्ता निलंबन काल तक नहीं मिलेगा। इसके अलावा वे निलंबन काल तक विधान सभा परिसर में भी नहीं प्रवेश कर सकते। इन निर्णयों को राज्य विधान सभा के इतिहास में अब तक की सबसे कड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। जिसको लेकर विपक्ष भी आक्रामक है। उसने निलंबन वाले दिन ही घोषित कर दिया था कि इस निर्णय को वह न्यायालय में चुनौती देगा।
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अब न्यायपालिका से आस
लोकतंत्र के स्तंभों में कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के अपने-अपने कार्य हैं। इसी आधार पर सब चलते हैं। परंतु, जब पेंच फंसता है तो निर्णय के लिए संवैधानिक मार्ग अपनाया जाता है। इसी संवैधानिक मार्ग को स्वीकारते हुए महाराष्ट्र विधान सभा के 12 निलंबित विधायक सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचे हैं। इन विधायकों ने याचिका में अपने ऊपर की गई कार्रवाई को रद्द करने की मांग की है।
प्रस्ताव ही अवैध
निलंबित विधायकों में से एक आशीष शेलार दिल्ली में हैं। उन्होंने बताया कि, 12 विधायकों में से चार-चार का गुट बनाया गया है और इस चार के गुट की चार याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई है। इसकी प्रेयर्स में मांग की गई है कि,
- जिस प्रस्ताव के अंतर्गत 12 विधायकों का निलंबन किया गया है, वो अवैध है। वह इस प्रकरण में लागू नहीं होता। इसलिए निलंबन अवैध है, इसे रद्द किया जाए।
- विधान सभा द्वारा निलंबित 12 विधायकों को तत्काल मिले राहत, सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने तक मिले निलंबन पर स्थगन।
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